चुनावों की परिभाषा और समय एक हो

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rajnish dube
हस्तक्षेप ऐसा जो किसी भी महत्वाकांक्षी नेता को हजम नहीं हो सकता है। यह बात है सरदार वल्लभ भाई पटेल की, जब उन्होंने सारे राज्यों को स्थानीय राजाओं से बातचीत करके सरकार के अधीनस्थ कर लिया था तो चुनावों का दौर आया। यह दौर भारतीय लोकतंत्र के लिए एकाधिकार की व्यवस्था को ही समाप्त करने जा रहा था,इसीलिए सौराष्ट्र के गणमान्य नागरिक एवं नेतृत्व दोनों ही प्रसन्न थे। धीरे-धीरे सारी योजनाओं एवं संविधान के अनुसार नियम-कानून का क्रियान्वयन हुआ,परंतु साथ ही साथ महत्वाकांक्षी दलों एवं नेताओं की संख्या भी बढ़ती चली गई।आरोप-प्रत्यारोप का खेल नागरिकों एवं अनुगमन करने वाले लोगों की मजबूरी के साथ खिलवाड़ बनता गया। घर से गली,गली से मोहल्ला, मोहल्ले से नगर, नगर से प्रदेश, प्रदेश से देश, सारा हिन्दुस्तान राजनीतिक विधाओं की चपेट में समय को बांटकर एवं विस्तारित करके कलियुग को आम जनता का भोग लगाती रही,और चुनाव में खंड-खंड में देश के विकसित होने का समय या तो बर्बाद हो गया या बड़े-बड़े जाने-माने ज्ञात-अज्ञात घोटालों का शिकार बनता गया। यह निर्धारित नहीं हो पाया कि आखिर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता क्यों है ?? कहते हैं समय से कोई नहीं जीत पाया तो फिर क्यों इस चुनाव ने समय को हराकर बिखरा हुआ विकराल रूप ले लिया। क्यों पूरी भारत भूमि में चुनाव एक समय पर नहीं हो सकता?? क्यों कोई आयोग चुनाव को अपना बंदी नहीं बना पाया?? इन बातों का उत्तर कोई दल विशेष नहीं देगा, बल्कि भारतवर्ष की जनता को अपने देश की नीतियां सुधारने हेतु इस जवाब को ढूंढना होगा। बिना किसी पक्षपात के,स्वयं को एक निर्णायक बनाकर जनता को देखना होगा कि,उनका समय किसके अधीन है, चुनाव के या किसी नेता के????

                                                                                        #रजनीश दुबे
परिचय : रजनीश दुबे की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl  ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के  के नर्मदापुरम् संभाग के  होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का  यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l  

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।