येदायरे , ये फासले अब, क्या बांटेंगे मोहब्बत को । वादा किया है तुमसे अब, निभायेंगे हम चाहत को ।। तसव्वुर से तेरे अब, इस दिल को करार आता है । तुमको न देखूं तो दिलबर, वक़्त भी ठहर जाता है ।। जुदा […]
नौ दिन का शक्ति पर्व है, भक्ति रस का पान करें । ध्यान साधना में जुट जाएं, माता का गुणगान करें ।। जलाकर अलख़ विश्वास की, मन का स्वयं उद्धार करें । पायें विजय इन्द्रियों पर अपनी, बुराईयों का स्वयं संहार करें ।। उत्सव को […]
आते हो रोज़ ख़्वाबों में मेरे, नींदें भी ग़ुस्ताख़ हुईं हैं । मेरी ज़िन्दगी की शामें भी, तुमसे ही गुलज़ार हुईं हैं ।। हर नज़र मेरी हर घड़ी, तेरा इंतज़ार कर रही है । दुनिया कह रही है मुझे, तुमसे प्यार नहीं है ।। […]
इश्क की ठंडी छांव में तेरी, आंख मेरी लग जाती है । दिन गुज़रता सोच कर तुझको, शामें उदास हो जाती है ।। हाथों की ये लकीरें मेरी , तुम्हें नसीब कहती हैं । धड़कने मेरे सीने में , नाम तुम्हारा लेती हैं […]
ऐतबार नहीं करता दिल मेरा, दुनियादारी की बातों में । खुली आंखों से ख़्वाब देखता, तारे गिनता ये रातों में ।। रस्मों रिवाज़ की दीवारें क्यों, दुनिया ने उठायी है । प्रेमनगर में दिल के मेरे , किसने हलचल मचायी है ।। आसमान भी सूना […]
मेरा चांद बहुत शर्मीला है , चांद रातों को भी दीदार नहीं होते । जो आ जाता तू एक बार आसमां में, हर शब हम यूं बीमार नहीं होते ।। तेरे इश्क की चांदनी में डूबे हैं, अंधियारी रात के शिकार नहीं होते। लुका छिपी तेरी […]
29 अप्रैल, 1989 को मध्य प्रदेश के सेंधवा में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर अर्पण का जन्म हुआ। उनकी एक छोटी बहन नेहल हैं। अर्पण जैन मध्यप्रदेश के धार जिले की तहसील कुक्षी में पले-बढ़े। आरंभिक शिक्षा कुक्षी के वर्धमान जैन हाईस्कूल और शा. बा. उ. मा. विद्यालय कुक्षी में हासिल की, तथा इंदौर में जाकर राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत एसएटीएम महाविद्यालय से संगणक विज्ञान (कम्प्यूटर साइंस) में बेचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कंप्यूटर साइंस) में स्नातक की पढ़ाई के साथ ही 11 जनवरी, 2010 को ‘सेन्स टेक्नोलॉजीस की शुरुआत की।
अर्पण ने फ़ॉरेन ट्रेड में एमबीए किया तथा एम.जे. की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने सॉफ़्टवेयर के व्यापार के साथ ही ख़बर हलचल वेब मीडिया की स्थापना की। वर्ष 2015 में शिखा जैन जी से उनका विवाह हुआ। वे मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं और हिन्दी ग्राम के संस्थापक भी हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 11 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।