बूँद बने कब मोती…मुक्ता..कब गज भाल सजा ले, कब कोई क्या खो दे जग में..कब कोई क्या पा ले। प्रभु जी…तेरे  खेल  निराले…॥ कब हो जाए…रंगभवन में..दुख का  करुणित क्रंदन, कब जल जाए शव के संग-संग…पावन सुरभित चंदन। कब माया छलिया बन जाए…कब वह भाग्य संभाले, प्रभु जी…तेरे खेल निराले…॥ […]

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(नव वर्ष विशेष) जो बीत गया उसको प्रणाम…। मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥ कुछ खट्टी-मीठी यादों के, मंजर मन को चिंतन देंगे…। कुछ बिछुड़े अपनों के साए, रिश्तों को अवगुंठन देंगे। फिर स्मृतियों से फूटेंगे…, संभावित कुछ अंकुर अनाम…। मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥ है समय चक्र की गति पावन, […]

यह जीवन पथ है प्रीत मित्र, चख ले इसका नवनीत मित्र। सम्बन्ध-सुरभि से सुरभित हो, महके तेरा हर गीत मित्र। चिंतन..स्वालंबन..संचित कर, युग के अंतस..को..जीत मित्र। भटके न कभी,अटके न कभी, मत कर्मभूमि से रीत मित्र। कुछ रच दे ऐसा कालजयी, सदियां पढ़ जाऐं बीत मित्र॥         […]

छोड़कर राहों में मुझको,जो गए तुम इस तरह… एक पल कटती नहीं ये,ज़िन्दगी की बात है। होंठ है खामोश मेरे ये कदम रुकते नहीं… तू नहीं,तेरे बिना ये मुफलिसी हालात है। राग है रंगीनियाँ,साज भी सरताज़ तुम… दिन भी है खामोश और खामोश-सी ये रात है। रोककर अपने कदम जो […]

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बहुत रोका मगर ये कब रुके हैं, ये आँसू तो मेरे तुम पर गए हैं। जो तुमने मेरी पलकों में रखॆ थे, वो सपने मुझको शूलों से गड़े हैं। न सीता है, न अब है राम कोई, चरित्र ऎसे कथाओं में मिले हैं। जो आने के बहाने ढूंढते थे, वो […]

हे मुरारी,मदन मोहन फिर नए सपने बुना दो, हैं खड़े अर्जुन भ्रमित,पुरुषार्थ की गीता सुना दो। नींव तक निज संस्कारों की उखड़ती जा रही है, रक्ष संस्कृति की पुन: विष बेल बढ़ती जा रही है। दिग्भ्रमित धरमावलंबी  टोलियों  में बंट गए हैं, ज्ञान  के भंडार  सारे अब धरा पर घट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।