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(नव वर्ष विशेष)
जो बीत गया उसको प्रणाम…।
मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥
कुछ खट्टी-मीठी यादों के,
मंजर मन को चिंतन देंगे…।
कुछ बिछुड़े अपनों के साए,
रिश्तों को अवगुंठन देंगे।
फिर स्मृतियों से फूटेंगे…,
संभावित कुछ अंकुर अनाम…।
मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥
है समय चक्र की गति पावन,
इसमें अतिशय स्पंदन है।
सुधियों का दर्द विगत में..,
तो भावी में स्वप्निल चंदन है।
तुम आशाओं की रश्मि किरण,
बिखरा देना भू पर तमाम…।
मेरे आगत ! स्वागत ललाम…॥
कुछ अनुभव के अनमोल रतन,
तुम भूतकाल से चुन लेना।
फिर वर्तमान में वही..रतन,
अपने सपनों में बुन लेना।
न रहे भाव दूषित मन में,
तो सदियाँ लेगीं तेरा नाम।
जो बीत गया उसको प्रणाम।
मेरे आगत ! स्वागत ललाम॥
#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’
परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।
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अत्यंत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना। रचनाकार श्री अनुपम जी
को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।