धनिया के साथे धान काटें रोज सँइया जी। चढते कुआर काहें डाँटे रोज सँइया जी।। कमर लचकावत खेत्ते जाली लेके हँसिया। बात कहें साँचे सुनील चौरसिया।। केहू बोवे गेहूँ , केहू चूसे रस – गनवा। हरिहर -पिअर खेत देखि गाना गावे मनवा।। कान्हे पे कुदारी सोभे , हाथे मे गङसिया। […]

डरने लगी है कुमुदिनी , देखकर कमल को | कुछ समझ में न आ रहा , बेखबर जल को || जल जाना चाहती है जल में जीते – जीते | अनैतिक लहर के जहर को पीते- पीते || खिलने से पूर्व है प्राण त्यागना अच्छा | प्रदूषित सरोवर में कहाँ […]

आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ दानवता को दूर भगाकर मानवता की कली खिलाकर वर्षों बाद पुरुषोत्तम आए आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ एक दूजे को गले लगाकर भाईचारा का भाव जगाकर ख़ुशी -ख़ुशी से नाचे गाएँ आओ मिलकर दीप सजाएँ जगमग जगमग ज्योति जलाएँ […]

अक्सर लोग कहते हैं कि बड़े लोग कम बोलते हैं लेकिन, सच यह है कि कम बोलने लोग बड़े होते हैं वाचाल की शक्तियां बात- बात में ही बिखर जाती हैं। चिंतक की शक्तियां चिन्तन के सहारे निखर जाती हैं।। #सुनील चौरसिया ‘सावन’ कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) Post Views: 508

नागराज की भाँति फुँफकारती हुई यह नदी पत्थरों को डँसते हुए पृथ्वी को रौंदते हुए पर्वतों के बीच से शान से चली जा रही है किस मंजिल की तलाश में? पहाड़ की छाती चीरकर सदियों से बह रही है कण-कण से कह रही है – साँसों का मूल्य समझो है […]

जिंदगी यही तो है… कुछ पूरी कुछ अधूरी… परिवार साथ है तो पूरी… और दूर, तो अधूरी… एक ऐसी प्यास जो ना बुझती कभी… ऐसी भूख जो ना लगती कभी… एक अहसास है… कुछ पाने का कुछ खोने का… यही तो है जिंदगी… कुछ पूरी कुछ अधूरी। सांसें नहीं है […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।