मेरा देश रो रहा है, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? ये जकड़ा है सम्प्रदायिक ताकतों से, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? ये पटा पड़ा है, विदेशी कंपनियों से कैसे इसे आज़ाद मानूं ? महिला जहाँ सुरक्षित नहीं, कैसे इसे आज़ाद मानूं ? जिस देश में बच्चियों को एक सांस नसीब […]

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काश मेरी किस्मत भी, तेरी किस्मत जैसी होती। मैं भी इल्जाम तुझ पे, लगा रही होती। खता तो तेरी थी, और इल्जाम मैं पाती रही। ये किस्मत की, क्या नासमझी हुई?                                       […]

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आज भी रोज की तरह सुप्रिया काम कर रही है। बाहर बारिश हो रही है और अब उसके पढ़े-लिखे पति यानी श्री वर्मा की पीएचडी के कारण उम्र निकल जाने से एक निम्न घर की लड़की सुप्रिया(खुद)से विवाह होता है। वो हर रोज सुप्रिया को ताना मारते हैं और खुद […]

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बहुत सालों बाद धनाढय घर की बहू मीरा उम्मीद से है,घर में खुशियों का माहौल है। सब उसे कई सलाहें-बेटा ऐसा मत करना, ऐसा खाओगी तो आने वाला बच्चा गोरा होगा,स्वस्थ होगा और न जाने क्या क्या…दे रहे हैं। मीरा के साथ ही मोहल्ले में झाड़ू निकालने वाली कला भी […]

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होली तेरे रंग हजार, खेलें सब बेशुमार। भांति-भांति के लोग, खेलें संग रंग गुलाल। मिला देती सबको, अपने रंग में आने से। राग-द्वेष भुलाकर, खेलें होली सभी। जीवन रंगों से भर देती है होली। कितनी रंगीली है तू ए होली।                     […]

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साधारण-सी हँसी, दिल को सुकून.. दे जाती है। प्यारी-सी माँ हमें, लाखों खुशियां दे जाती है। कुछ अनकही-सी बातें, जो और कोई न सुने.. वो मेरी माँ कहलाए।                                             […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।