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मेरा देश रो रहा है,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
ये जकड़ा है सम्प्रदायिक ताकतों से,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
ये पटा पड़ा है,
विदेशी कंपनियों से
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
महिला जहाँ सुरक्षित नहीं,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
जिस देश में बच्चियों को
एक सांस नसीब नहीं,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
अंधविश्वास भरा पड़ा रग-रग में,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
अमीर-गरीब का फ़ासला इतना,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
बेरोजगार को रोजगार नहीं,
कैसे इसे आज़ाद मानूं ?
मेरा देश रो रहा है,
कैसे इसे आज़ाद मानूं…?
#नेहा लिम्बोदिया
परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।
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Tue Jan 16 , 2018
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