निशा..

2
0 0
Read Time4 Minute, 2 Second

neha

आज भी रोज की तरह सुप्रिया काम कर रही है। बाहर बारिश हो रही है और अब उसके पढ़े-लिखे पति यानी श्री वर्मा की पीएचडी के कारण उम्र निकल जाने से एक निम्न घर की लड़की सुप्रिया(खुद)से विवाह होता है। वो हर रोज सुप्रिया को ताना मारते हैं और खुद को बड़ा साबित करते हुए सुप्रिया को निचा दिखाते हैं। आज भी वो अपने आप को रोक नहीं पाए और सुप्रिया को सुनाने का काम करते हैं। तब सुप्रिया तत्काल कहती है कि, आज बहुत हिचक रहे हैं। जैसे मुझे आज का दिन याद है,वैसे आपको भी हैं न ? क्यों यह सच है?
श्री वर्मा-हम्म,मुझे याद है।
सुप्रिया-तो कुछ करते क्यों नहीं ?
ये खिड़कियों से रिमझिम बरसती बारिश की बूँदें देख रहे हो ? ये हर बार आती हैं और पूछती है, उनकी सहेली कहाँ है?
श्री वर्मा-मैं क्या कर सकता हूँ ?
सुप्रिया-आप क्या नहीं कर सकते? मैं पढ़ी-लिखी नही हूं,आप तो लोगों को अपने हक के लिए लड़ने का कहते हैं और आप ही क्यों? आपको बड़ा घमंड है न अपनी पढ़ाई का,तो उस दिन आपकी पढ़ाई कहाँ गई थी! जब पहली बार आपने मेरी बेटी को उनके पास नौकरी के लिए भेजा था.. और वो घबरा के सहमी-सी आई थी। वो खिला हुआ फूल हुआ करती थी,अब मुरझा-सी गई है। मैं गई थी बेल्ट लेकर उस नीच को सजा देने,पर अपने मेरा साथ नहीं दिया और मुझे ले आए।
पति-अगर मैं कुछ करता तो, इसमें निशा की ही बदनामी होती और तुम तो इस समाज को जानती हो। उसकी शादी नहीं हो पाती।
सुप्रिया-क्या अब उसकी शादी हो सकती है! ये जो बारिश की बूँदें हैं और निशा जो आज जिन्दा लाश है, उसके आंसू की बूँदें पोंछते हम एक- दूसरे के साथ खेल क्यों नहीं रहे हैं।
मेरे पास जवाब नहीं हैं,क्या आपके पास जवाब है ? समाज के डर के कारण आपने बेटी को इंसाफ नहीं दिलाया। यही दिन था न,जब आप मुझे जिद करके मार्किट ले गए थे।मुझे लग रहा था कुछ गलत होने को है। जब हम लिफ्ट के पास पहुँचे तो, वो पापी दिखा। तब भी आपने कुछ नहीं कहा, और हम घर आए तो मेरी बेटी मौत के मुँह में झूल रही थी।
पति-हाँ मानता हूँ,मुझे कुछ करना था पर बदनामी की निशा की होती। आज भी उसका इलाज उसी के पैसों से हो रहा है।
सुप्रिया-बदनामी के डर से इज्जत खो बैठें ? ऐसे ज़िंदा रहने से तो निशा को मैं मार दूँ।
जब तक आप निशा के लिए लड़ते नहीं,तब तक निशा के मरने की दुआ करुँगी। ऐसी ज़िंदा लाश रहने से तो उसका मरना अच्छा…।
सबकुछ समझने और काफी पढ़े होने वाले श्री वर्मा ऐसे चुप हो गए थे,मानो जिंदगी की ये समझ उन्हें किसी शिक्षक से मिली ही नहीं हो…।

                                                                                   #नेहा लिम्बोदिया

परिचय : इंदौर निवासी नेहा लिम्बोदिया  की शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से  पत्रकारिता में हुई है और ये शौक से लम्बे समय से लेखन में लगी हैं। कविताएँ लिखना इनका हुनर है,इसलिए जनवादी लेखक संघ से जुड़कर सचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। इनकी अभिनय में विशेष रुचि है तो,थिएटर भी करती रहती हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

2 thoughts on “निशा..

  1. बहुत खूब। आजकल एैसे पढे लिखे कायर बहुतायत में पाए जाते हैं।
    लिखते रहिये।
    साधुुवाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उबले हिंदुस्तान

Wed Mar 22 , 2017
जन्मभूमि का मामला, फिर से भरे उफान.. योगी तुम भी देख लो, उबले हिंदुस्तान। उबले हिंदुस्तान, विरोधी को समझाओ.. सीधी अंगुली यार, इसे मत टेढ़ी कराओ। कह सुरेश टूटेगा बबुवा, अगर तनेगा.. राम जहाँ जन्मे, मंदिर तो वहीं बनेगा।।                       […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।