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कुछ तार सुरों के बहके हैं, मतवारे पंछी चहके हैं। दिनमान में भी अब दीप जले, रात में अब दिनकर चमके। मन सुन्दर वन-सा घना-घना, लिपटा भावों से हर तरु तना। वन जीवों-सी चंचल अभिलाषा, नहीं निर्धारित कोई इनका बासा। सब अपनी ही धुन में लहके हैं, कुछ तार सुरों […]

हे ईश्वर ये किस जगह पर हूँ मैं, मैं स्वयं को ही खोज नहीं पाता… मद्धिम-मद्धिम है ये सांसें अब तो, स्वयं मैं कुछ भी सोच नहीं पाताl            उसकी स्मृति में ही अब हर क्षण है, पृष्ठों में मात्र वो ही नजर आता…            लिखना तो एक ढेर चाहता […]

चलो अच्छा हुआ, जो कविताओं को विधाओं के बंधनों से मुक्त कर दिया…l ये जीवन की विषमताएं,सड़कों-सी  उबड़-खाबड़ हो चली हैं…, कहीं गड्ढे तो कहीं असमान उभार, मरम्मतें भी पैबंदों-सी हो चली है…l कैसे कोई इन, खबड़ीले उछलते रास्तों पर अपने भावों की स्कूटर चलाए ??? चलो अच्छा हुआ, जो […]

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तेरे-मेरे इस बंधन की, एक वंदनवार बनाई है… अंतरमन के द्वारे पर इसकी, लड़ी सजाई है। अपनी प्रीत के हर रंग से मैंने, अनुपम रंगोली बनाई है… निरख चटख रंगों की छटा हर्षित, मन अरुणाई है। नयनों के दीप जलाकर मैंने, दीप कतार लगाई है… तेरे नयनों की प्रज्जवलित बाती, हर दीपशिखा […]

मैं एक गृहिणी हूँ,और हिन्दी को राष्ट्रभाषा रूप में प्रचारित एंव प्रसारित होने और न हो पाने के कारणों पर मेरा दृष्टिकोण,भाषा अधिकारियों  से वैभिन्यता रखता हो,उनकी दृष्टि में उतना तर्कसम्मत और वैज्ञानिक न हो,इसके बावजूद मेरा दृष्टिकोण एक आम भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व अवश्य करता है, ऐसा मेरा मानना […]

मंदिरों के बाहर पड़े भगवान को चढ़ाए पूजा पुष्प,जिनको भक्तगण आंख बंदकर कुचल के चले जाते हैं। पूरी श्रृद्धा के साथ भगवान की प्रतिमा के मुंह में ठूंसा हुआ मिष्ठान्न,मतलब जब तक भक्त द्वारा चिपकाई गई बरफी प्रभु-प्रतिमा के मुंह से चिपक न जाए,भक्त को संतुष्टि नहीं होती है। बाद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।