कभी-कभी सुबह-सुबह देखने आना- वह नदी, जो बचपन से बह रही है, वह पहाड़, जो अडिग है, वह मृत्यु ,जो पल पल देखी गयी है, वह समुद्र, जो गरजता रहता है, वह जंगल, जो बीहड़ हो चुका है। रास्ते जो कटे -फटे हैं, पेड़ जो कट रहे हैं, देश जो […]

मैं तेरे ही गुण गाता हूँ भारत पता नहीं किस ओर मुख करूँ पर तेरे ही गुण गाता हूँ भारत। तेरे वृक्षों पर बैठ बैठ कर, खेत खलिहानों को देख देखकर, वसंत शिशिर को सोच सोचकर, राजनीति के दाँवपेंच में, मैं तेरे ही गुण गाता हूँ भारत। महाभारत को सुना […]

मेरी कहानी अद्भुत थी चारों ओर से पहाड़ों से घिरी थी, हवा जो चल रही थी वह भी कुछ गुनगुना रही थी, जैसे प्यारा के किस्से बुदबुदा रही हो, या संघर्ष का अध्याय खोली रही हो। मेरे पास बहुत कुछ नहीं था, महाभारत का अधूरा ज्ञान था रामायण की अल्प […]

जब उदास होता हूँ या यादों की सैर करता हूँ तो नैनीताल के कोहरे में खो जाता हूँ। स्नो व्ये, नैना शिखर, टिफिन टोप से खिसने लगता हूँ, ताल की तरफ, आकाश को छू तो नहीं पाता पर कोशिश में उछलता हूँ। दोस्तों के साथ की गयी यात्राएं लपेट लेता […]

जागो, जागो,जागो देश के लिए जागो, शिक्षा के लिए जागो, जंगलों के लिए जागो जनसंख्या के लिए जागो, नदियों के लिए जागो। देश की भाषा के लिए जागो, ये जो हमें गूंगा बना रहे हैं उनके विरुद्घ जागो, जो झूठे प्रजातंत्र में नाचते हैं उस नाच के विरुद्ध जागो। जो […]

प्यार नहीं कर सकते हैं तो प्यार के बारे में सोच सकते हैं, साथ-साथ नहीं चल सकते हैं तो साथ के बारे में सोच सकते हैं, उड़ नहीं सकते हैं तो उड़ान के बारे में सोच सकते हैं। तालियां न सुनायी दें तालियों के बारे में जान तो सकते हैं, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।