प्रिय महाविद्यालय

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जब उदास होता हूँ
या यादों की सैर करता हूँ
तो नैनीताल के कोहरे में खो जाता हूँ।
स्नो व्ये, नैना शिखर, टिफिन टोप से
खिसने लगता हूँ, ताल की तरफ,
आकाश को छू तो नहीं पाता
पर कोशिश में उछलता हूँ।
दोस्तों के साथ की गयी यात्राएं
लपेट लेता हूँ ,
अपने को कभी स्वीकारता ,
कभी अस्वीकारता,
मैं खड़ा हो जाता हूँ विद्यालय की चौखट पर।
जो कहना हो कह देता हूँ,
विद्यालय से प्यार करता हूँ,
प्यार का पैमाना मेरा अपना है,
तल्ली ताल से नापूँ या मल्ली ताल से,
सुबह बन जाऊँ या शाम बन जाऊँ।
पर मन करता है,
कभी – कभी नैनीताल के आर पार हो जाऊँ,
कोई रूठे,कोई छुए और ताल के किनारे बैठ जाऊँ।
हर बार पत्र लिखता हूँ,
प्रिय महाविद्यालय,
कैसे हो?
क्या ज्ञान से ज्ञान तक जाते हो,
क्या लड़के -लड़कियां पढ़ते हैं?
कैसी हैं चुनावों की ठसक,
कहाँ कहाँ हैं विश्वविद्यालय के विद्यार्थी,
कितना ज्ञान बाँट चुके हो!
तेरी स्थापना से मेरी स्थापना तक
एक स्थायी उम्र का अन्तर है।
छेड़ दूँ
पुराने से पुराने किस्से-कहानियां,
बिल्कुल वैसे ही
जैसे धरती बोलती है मौसम दर मौसम।
वसंत का होना महकता है,
वर्षा का बदलना मन को छूता है,
जाड़ों तक आते-आते होंठ सूखने लगते हैं,
बर्फ की फाँहों में अटक जाता है मन,
प्यार का संगीत कोई सुनता है कोई नहीं।
प्रिय महाविद्यालय जो दिन याद आते हैं,
खूब याद आते हैं,
गीत कभी पूरे नहीं होते हैं
पक्षियों की उड़ान, रूकती नहीं,
खोजी आँखें बंद नहीं होतीं,
मिठास भरे फल स्वयं झुक जाते हैं,
महत्ता सही कदमों की कम नहीं होती।
प्रिय महाविद्यालय जो दिन याद आते हैं,
खूब याद आते हैं।
#महेश रौतेला,
अहमदाबाद

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।