***************** सत्य का उसने दीप जलाकर असत्यपूर्ण अंधकार मिटाया, सत्याग्रह की राह पर चलकर भारत भूमि स्वतंत्र कराया। लकुटी ही थी एक सहारा, लकुटी को न कभी उठाया। एक धोती लपेटे रहते, सत्य का सिर पर ताज था। तन था उनका साँवला, अफ्रीकन का साथ दिया। बाल्यकाल से दयावान थें, […]

दीपावली वाले महीने में ही आय कर विभाग को ज्वेलर्स सहित अन्य कारोबारियों के संस्थानों की जांच करने की याद आती है।विक्रय कर विभाग को बर्तन व्यापारियों के व्यवसाय में गड़बड़ी ढूंढने का मौका मिलता है। ग्यारह महीने तक फूड विभाग जिन मिठाई नमकीन वालों से पैकेट लेकर साहब बहादुरों […]

प्रसरित हो वह सूर्य-लालिमा; रजनी-चंद्रिका प्रसरित हो। शुष्क पड़ा;जन हो उद्विग्न; बाढ़ लहर लहराई हो। तप्त करे यह सूर्य की ऊष्मा; हिम-वृष्टि नहलाई हो। क्या ऐसा भी हो सकता! ‘पतझड़ ऋतु में हरियाली होl’ है जग में कुछ भी न असंभव, विजय का दूजा नाम ही संभव। आए अर्क जो […]

। ले चलो ऐ ‘अश्व’ मुझको उस धरा के छोर, पाप रहित क्षेत्र हो; तम न हो; हो भोर। भ्रमण करता ‘क्षेत्र’ में; गर्दभ-मति लिए हुए, पशु,प्रेत बन भटक रहा अज्ञात; शून्य से परे। देखता हूँ ‘मन की हलचल’ लोचन का प्रकाश ले, कह न ‘बधिर’; सुन सका न-गूँज अन्तर्रात्मा […]

माना कि ‘अंग्रेजी’ की लिपि लिखना बड़ा लुभाता है; ‘गणित’ में जोड़-घटाना उसका महत्त्व समझ में आता है। ‘सामाजिक विज्ञान’ को पढ़कर समझ समाज यह आता है; माना कि ‘इतिहास’ को पढ़कर आँसू भर-भर आता है। ‘रानी’ थी जो लड़-लड़ अपने प्राण न्योछावर कर बैठी; ‘राणा’ दुश्मन काट-मारकर वीरगति को […]

पर्वत को तू हिला सकता है; भूतों को तू डरा सकता है; हर दानव को हरा सकता है; जल की बूँदें जला सकता है। तू तो है अनजान, पता न “जीवन कैसे है जीना”; तीन ही सीढ़ी चढ़ा और बोला- खत्म हो गयी सीमा। “बिन पग के न उड़ूँ” सोचते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।