अपने पड़ोस के एक  वैवाहिक समारोह  में शामिल  अंजू  अपनी सहेलियों संग बातें करने में मगन थी , तभी सामने से आती सरिता चाची  ने उसे  टोका । ” अरे अंजू ! तुम  यहाँ ? तुम्हें तो  बीमार माँ के  पास होना चाहिए , बेचारी कभी चल भी नहीं सकतीं […]

ओ कला !!! कहाँँ हो तुम ?  कब से आवाज दे रही हूँ । गली में चूड़ीवाला आया है । सुन्दर – सुन्दर चुड़ियाँ सजा रखी हैं उसने !  बड़बड़ाती हुई शकुन्तला देवी सीढ़ियों की ओर लपकीं । शायद अपने कमरे में होगी , कहते हुए उसके कमरे तक पहुँचीं […]

खत लिखती हूँ , इस आस से , कि  तुमसे  सहारा  मिल जाए , जितने  गिले , शिकवे  जमा हैं , मेरे  दिल में , सारे  धूल जाएँ । पढ़कर  जवाब  जरूर  देना , या  हो सके  तो आ  ही जाना , मन  मेरा  एक  बार  फिर  से , सुनहरे  […]

ज्ञान धन बाँट-बाँट कर , खुद भिक्षुक बना रहे । अन्याय सहे चुप रहे, वो सच्चा गुरु बना रहे । बदल गई गुरु की परिभाषा, गुरु भी इसे समझता रहे । आज तो यही सच है , गुरु सबसे डरता रहे । जीवन का पाठ पढ़ाने वाला , जीवन क्या […]

ज्ञान धन बाँट-बाँट कर , खुद भिक्षुक बना रहे । अन्याय सहे चुप रहे, वो सच्चा गुरु बना रहे । बदल गई गुरु की परिभाषा, गुरु भी इसे समझता रहे । आज तो यही सच है , गुरु सबसे डरता रहे । जीवन का पाठ पढ़ाने वाला , जीवन क्या […]

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तुम्हे देखा तो माना है मुहब्बत भी जरुरी है, तुम्हीं से है सुकूँ दिल को राहत भी जरुरी है। मुहब्बत आप भी करिए मुहब्बत भी जरूरी है, मगर इसके लिए देखो इजाजत भी जरूरी है। हमेशा तो नहीं करना शिकायत आप अब देखो, मगर सच में कभी तो ये शिकायत […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।