जननी-सी कोमल हिन्दी,                निज भाषा का सम्मान रहे, अपनेपन की महक लुटाती,                हिन्दी पर अभिमान रहे। भारतेंदु और द्विवेदी ने,              इसकी जड़ों को सींचा है, ऐसे वरद पुत्रों से जग […]

नए सत्र का स्वागत करने, हो जाओ तैयार साथियों सरकारी हो ‘असरकारी’, ठान लो फिर एक बार साथियों। कोई हमसे नहीं कहेगा , सुननी होगी अंतर्मन की अनुपम अवसर मिला हमें, सेवा करने बचपन की, भावी प्रतिभा छुपी अनेक,लेना तुम सँवार साथियों। नए सत्र का स्वागत करने, हो जाओ तैयार […]

बारिश की बूँदों ने देखो, कैसा किया कमाल, झूम उठा मन,बच्चों ने जी भर के किया धमाल। मत रोको अब भीगने दो, मस्ती में गाएंगे, अभी नहीं तो ये मस्ती, जीवन में कब पाएंगे। नहीं सुनेंगे हम भीगेंगे, तोड़ के सब जंजाल बारिश की बूँदों ने देखो, कैसा किया कमाल। […]

इस मेले में मेरी नज़र कुछ ढूँढती है, बहुत कुछ है यहां,फ़िर भी कुछ ढूँढती है। सागर है गहरा,रत्न भी निकले  हैं कई ठंडक भी बहुत है,मगर मीठापन कुछ ढूँढती है, इस मेले में मेरी नज़र…। भोग हैं छप्पन,रसभरे भी हैं, स्वाद लाजवाब,मगर नमक कुछ ढूँढती है, इस मेले में […]

किसे अपना हम कहें,किसको कहें  पराया, खाए कई  बार धोखे,लेकिन  समझ न  आया। अपने-से बनके  रहना,दिखाया भी ये बहुत, मगर वक्त आने पर,ठेंगा ही  दिखाया। नफ़रत से भरी दुनिया में,ऐसा भी नहीं है, जिसको  किया किनारा,उसका ही साथ पाया। लगता है व्यर्थ सब कुछ,माया और   छलावा, बस एक ईश्वर का […]

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पावन प्रकृति ने प्रातः में, पुनः जगाए प्राण, कोयल के कलरव ने छेड़ी,मधुर गीत की तान। छटा बिखेरी धरती माँ ने,आँचल अपना लहराया, दूर किया सूरज ने आकर,अंधियारा था गहराया। लाल चुनर ओढ़ा दिनकर,करता माँ का सम्मान, पावन प्रकृति ने प्रातः में……। नया सवेरा कई नई,आशाएँ लेकर आया, सच करने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।