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सागर में चाहें आए तूफान, तब भी जीवन कीं नैया.. पार कर लूँगा मैं, आपके साथ पाताल से, गगन तक छा जाऊंगा मैं। कुछ ऐसा कर दूँगा मैं, मेरी याद न मिटे.. चाहे फूल जंगल का हो, सुवास भर दूँगा मैं रेखाओं से बनाया है, महल स्वप्नों का.. यदि नसीब […]

ये कैसा अजीब मंजर है, हर के हाथ खंजर है.. यहाँ पैदावार कम होती है, सारी जमीन ही बंजर है। पढ़ लिखकर क्या पाएगा, पिता पुत्र को समझाता है.. पढ़े-लिखे सब बेरोजगार हैं, फिर खेती से भी जाएगा। तेरे बड़े भाई को पढ़ाया था, उसने उम्मीदों को जगाया था.. अब तक […]

जीवन की सांझ हो चली है,वह भी जानती है वह अब जाने को है। समेट रही है अपनी ज़िम्मेदारियां आहिस्ता-आहिस्ता..और बांट रही है जो है बचा-कुचा। रोज़ गूँथती है घर-संसार अपने बेटे का,पता नहीं, कौन-सी शाम जीवन का सूरज ढल जाए..। कभी अलमारियों के कपड़े सहेजती है,कभी रसोई की सफाई […]

रिपु हो तम के तुम दीप, गंधुमी आभा बिखेरते दीप। हर्ष विशाद में तुम जले हो, सब के प्रिय रहे हो दीप। दर्शन अर्चन में रहे हो संग, नीरांजन में जले हो दीप। उमंग उत्सव का श्रृंगार तुम, संस्कृति की पहचान हो दीप। मस्तक सजा पावक पुँज, रजनी में तुम […]

सूख जाएगा इक दिन पानी, करते रहे अगर तुम मनमानी। इसको बचाओ,मान लो भाई, ‘जल है जीवन’ जान लो भाई। जल सबकी प्यास बुझाता है, फसलों को भी चमकाता है। इसकी महत्ता का ज्ञान लो भाई, ‘जल है जीवन’ जान लो भाई। जल पर आधारित हैं सभी उद्योग, साफ-सफाई में […]

जीवन में रिश्ते, बनते हैं बिगड़ते हैं सभी आपस में लड़ते हैं ,झगड़ते हैं, फिर मिलते हैं.. रिश्ते ऐसे ही बनते हैं। लड़ना,झगड़ना,मिलना, रिश्तों में चलता रहता है.. कभी खुशियां,कभी गम मिलते रहते हैं सास-बहू के झगड़े होते हैं जग जाहिर हैं.. एक ही घर में होते, फिर भी घर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।