अक्सर पूछता है वो शख्स क्या है तेरे गांव में मेरे शहर से बढ़कर..जो तू करता है कुछ यूं बड़बोलापन। जहाँ, गाय गोबर देती है और माँ उस पर अधपकी रोटी बनाती है..क्या रखा है रे बड़बोले तेरे उस गांव में? अब तक क्या देखा तूने गांव में..सुन दिखावटी रौनक […]

तिरंगा ओढ़ करके देख,तेरा लाल आया है। न प्राणों की फिक्र की,मातृ इज्जत को बचाया है।। न रोना माँ मेरी वरना,तिरंगा भीग जाएगा। तिरंगे के लिए ही हमने,जीवन को गँवाया है।। लहू के रंग से जिसने,तिरंगे को सजाया है। कफ़न में ओढ़कर अपने,तिरंगे को वो आया है।। सुहानी शाम जिसने […]

  चलो उस जिन्दगी को ढूंढने निकलते हैं, जो बार-बार मचलती है,बार-बार फिसलती है.. जो बार-बार छटपटाती है,जो बार-बार अपना हाथ छुड़ाती है, चलो उस जिन्दगी को ढूंढने निकलते हैं …..l एक बार जब मैं निकला था साँसों की तलाश में, कुछ कर गुजरने की आस में.. फँस गया प्रवंनाओं के जाल में, खो गया […]

भाषाएं सभ्यताओं की जननी हैं। भाषाओं में संस्कृति के स्रोत अनुस्पूत हैं। भाषाओं में हमारी अभिव्यक्ति के सूत्र समाहित हैं। हम सबकी अभिलाषाओं के स्वप्न भाषाओं में ही उजागर होते हैं। किसी भी अन्य देश की वास्तविक नागरिकता उस देश की भाषा के नागरिक होने पर ही संभव होती है। […]

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लहू से तर रहा बस्तर, हमें अच्छा नहीं लगता, ये छत्तीसगढ़,ये आंसूघर हमें अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी मांग जो भी हो,उसे तुम सामने रख दो, ये हिंसा का भयानक स्वर हमें अच्छा नहीं लगता। महज निंदा नहीं,कुछ तो नतीजे सामने लाओ, हुए हालात अब बदतर,हमें अच्छा नहीं लगता। ये मेरा […]

सुकमा में सैनिकों पर हुए हमले, से आहत हुई है आज भारत माँ। मौत से खेलने वाले ऐसे दरिंदों, का करो जवानों अब तुम खात्मा।। सैनिकों की शहादत पर तब, होगी हमारी सच्ची श्रध्दांजलि। काट लाएंगे उनके भी सिर हम, तब होगी माँ भारती को तसल्ली।। कोई पत्थर मारे तो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।