कहिए कलियुग! कैसा आया नए दौर का दौरl खड़ी फसल को चली आँधियों ने झकझोरा खूब, छिप कोने में दुबकी-दुबकी रोई हल्दी-दूब बचा-खुचा जो मालगुजारी खाई भर-भर कौरl हानि-लाभ के दिशाशूल में, लाला मालामाल सट्टों ने भी साठ-गाँठ कर खूब गलाई दाल.. माल दिखाया हाथ और कुछ बेच दिया कुछ […]

प्रतिदिन सोशल मीडिया पर नारी की फटी-चीथड़ी,आंखों में आंसू और गोद में बिलखते बच्चों की तस्वीरों और अत्यन्त दारूण सामग्री को देखते-देखते मैं थक चुकी हूँl ऐसा नहीं कि,मैं समाज में हो रहे नारी शोषण की पक्षधर हूँ। मैं भी एक नारी हूँ,और इस तरह की नारी के प्रति हो […]

वो सुंदर सी छरहरी देह की गौर वर्णीय लड़की थी। औसत थी पढ़ाई में। माँ कहती-बेटों को चाहे जितना पढ़ा लीजिए,पर विभूति को नहीं। अनिमेष पढ़ने  में बहुत होशियार नहीं था,फिर भी इंजीनियरिंग  कर ही ली थी। जिद करके विभूति भी डॉक्टर बन ही गई थी। वह शोध  के लिए […]

अब तो तेल भी न बचा चराग़ में,  ये दिल रोशन है वफ़ा की आग में। यूँ देख कर न हमसे नज़र घुमाइए, हम भी माली थे कभी इस बाग में॥ देते हैं दिल को वो तसल्ली जरूर, पर यकीं कैसे करें उनके इस राग में। खेला खूब दिल से […]

बारिश की बूँदों ने देखो, कैसा किया कमाल, झूम उठा मन,बच्चों ने जी भर के किया धमाल। मत रोको अब भीगने दो, मस्ती में गाएंगे, अभी नहीं तो ये मस्ती, जीवन में कब पाएंगे। नहीं सुनेंगे हम भीगेंगे, तोड़ के सब जंजाल बारिश की बूँदों ने देखो, कैसा किया कमाल। […]

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तेरी फुर्कत सही  नहीं जाती, उफ मेरी  बेखुदी नहीं जाती। हो  गए  जबसे  दोस्त  पैमाने, तबसे  ये  मैकशी  नहीं जाती। तेरा  चेहरा  मैं  चाँद  में  ढूँढू, मेरी  दीवानगी  नहीं  जाती। दूर नज़रों से जबसे आप हुए, आँखों से तीरगी  नहीं जाती। क्या कहूँ हाल-ए-दिल मैं ऐ ‘पंकज’ बात सबसे कही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।