खिलाफत करने वाले सब परों को छांट देंगे हम। बहा करके लहू अपना , धरा को पाट देंगे हम॥ उठी गर जो तिरंगे पर कभी ऊँगली किसी की तो, कसम माँ भारती की , हाथ उसका काट देंगे हम॥ […]
बरसो,बरसो रे मेघ, बरसो,बरसो रे मेघ। धूप से सूख रहे हमारे खेत, बरसो,बरसो रे मेघ। बरसो,बरसो रे मेघ॥ नदी,पोखर,तालाब और नाले, कब बहेंगे फिर होकर मतवाले। रिमझिम फुहारों को धरती पर भेज, बरसो,बरसो रे मेघ। बरसो,बरसो रे मेघ॥ मेंढक,झींगुर,मोर,पपीहा, बुलाए तुमको मेघ संवरिया। गर्मी से झुलस रही इनकी देह, बरसो,बरसो […]