सड़क भी बोलती है, बहुत कम ही सही अपने लबों को खोलती है, सुर्ख हो जाते हैं, पर शिकायत तब भी नहीं.. अपने सीने पर लगे घावों को बताती नही, बारिश का पानी भर आता है उनमें टीसता है जैसे, घावों पर नमक बरबस आपका ध्यान खींचती नही। एक पत्ते […]
आँगन-आँगन उग रहे,भौतिकता के झाड़। संस्कारों की तुलसियाँ,फेंकी गई उख़ाड़॥ मन में जब पलने लगें,ईर्ष्या द्वेष विकार। तब निश्चित ही जानिए,नैतिकता की हार॥ जिनका जीवन मंत्र है,कर्म और पुरुषार्थ। वे जन ही समझे सदा,धर्मों का भावार्थ॥ जिनके मन पैदा हुआ,वैचारिक भटकाव। डूबी है उनकी सदा,भवसागर में नाव॥ कर्म भूल जब-जब […]
