Read Time1 Minute, 9 Second
निज तप से शिव को प्रसन्न कर शिवलिंग ले लंकेश चला।
हरि प्रेरित माया से लिंग रख रावण दिशा निवेश चला॥
लघुशंका से हो निवृत्त जब लिंग लगा उठाने वह।
सारी शक्ति लगा दी लेकिन किंचित भी न लिंग टला॥
कहलाई वह भूमि देवधर सती हृदय की राशी का।
मनोकामना नवम् रुप लिंग बैद्यनाथ अविनाशी का॥
शिवशक्ति के ज्योतिर दर्शन शिवपुराण में वर्णन है।
मुझ आकिंचन का प्रणाम श्री बैद्यनाथ को अर्पण है॥
#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’
परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।
Post Views:
461
Wed Jul 19 , 2017
तुमसे ही चलती हैं साँसें,तुम जीवन का आधार प्रिये, तुमसे ही जगमग जीवन है,तुम प्राणों का संचार प्रिये। तुम आओ जीवन में मेरे,मैं मानूँगा उपकार प्रिये, तुम तक ही सारा जीवन है,तुमसे ही ये संसार प्रिये। तुम बूंदें हो,तुम ही बादल,तुम ठंडी एक फुहार प्रिये, तुम तक ही सब रिश्ते […]