निज भाषा में न्याय की,फिर से जगी है आस ।                      इस बार मिलेगी अवश्य सफलता,मन में है विश्वास।।  उच्च न्यायालयों में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के उपयोग  संबंधी संसदीय समिति […]

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क्या इस पर भी विचार करेंगे शिक्षाविद,नेता और आप-हम कि, विधि की अवधारणा होती है कि,देश के कानून का ज्ञान हर व्यक्ति को होता है। तथ्य की भूल क्षम्य है,किन्तु विधि की भूल अक्षम्य है। कोई भी व्यक्ति विधि की अनभिज्ञता का बचाव लेकर निर्दोष नहीं बन सकता है। बड़ी […]

आँख फाड़ देने वाला ऐसा सच कि,पढ़कर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे ? भारत में कुल ४१२० विधायक और ४६ एमएलसी हैं अर्थात कुल ४५८२ विधायक हैं। प्रति विधायक वेतन-भत्ता मिलाकर प्रति माह एक पर २ लाख का खर्च होता है,अर्थात ९१.६४ करोड़ रुपया प्रति माह। इस हिसाब से प्रति […]

फिल्में सामान्य जीवन पर जल्दी असर करती हैं सामाजिक जीवन में, वैसे फिल्मों में काम करने वालों की कार्यशैली ऐसी ही है कि,वो एक प्रकार के उच्च व्यवसायिक तरह का जीवन जीते हैं। ऐसे में इनसे अच्छे संस्कार की उम्मीद बेइमानी है,यानी न के बराबर। सरकार (अधिकारियों )और नेताओं को […]

दोनों वरिष्ठ कवि मंडी से टमाटर खरीद कर लौटे थे। एक जमाना था जब वे दो-चार कविताएं सुनाकर टमाटर-बैंगन वगैरह इकठ्ठा कर लिया करते थे। उस समय कविता को लेकर लोगों में जबरदस्त संवेदना थी। कविताएं तो उनकी आज भी वैसी ही हैं,टमाटर भी सस्ते हैं लेकिन लोगों ने बर्दाश्त […]

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कानून और न्याय की संसदीय कमेटी ने बड़ी हिम्मत का काम किया है। उसने अपनी रपट में सरकार से अनुरोध किया है कि,वह सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में भी भारतीय भाषाओं के प्रयोग को शुरु करवाए। उसने यह भी कहा है कि,इसके लिए उसे सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति या सहमति […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।