इश्क ने चेहरा है बदला,, बदले रांझे हीर है,,, वो पहले वाले प्यार कंहा,, बदली लैला मजनू की तस्वीर है,,, रूह से प्रैम नही अब होते,, सब जिस्म के चाहगीर है,, सच्चा प्यार अब छलावा लगता है,, सब होने पर पछतावे की पीर है,, खुद को सच साबित करने की […]

देख रही हूँ आखों में सपने इन को  हकीकत का नाम दे दो जमीन तो तुम  दे नहीं सकते  बस मेरे हिस्से का  आसमान दे दो हर युग में छली  गई  फिर भी सहती गई हूँ बहुत  हो गई अग्नि परीक्षा, अब तो इनका परिणाम दे दो बस मेरे हिस्से का  आसमान दे दो गृहस्थी  की गाडी  खीँच रही  कंधे   से कन्धा […]

पावस के दिन आये। कारे- कारे कजरारे से,                      मेघ गगन पर छाये ।                      पावस के दिन आये।। चम-चम चपला चमक रही है, मेघ    उसाँसें     भरते      हैं […]

बाबा का संबोधन मेरे लिए अब भी है उतना ही पवित्र और आकर्षक जितना  था पहले अपने बेटे और भोलेनाथ को मैं अब भी बाबा पुकारता हूं अंतरात्मा की गहराईयों से क्योंकि दुनियावी बाबाओं के भयंकर प्रदूषण से दूषित नहीं हुई दुनिया मेरे आस्था और विश्वास की अद्भुत आत्मीय लगता […]

वो बंद कमरा जो खोला जाता था कभी कभी उस बंद कमरे में लोगों की नज़रों से छुपकर हम बुना करते थे अपने सपने वो बंद कमरा जिसमे अटी पड़ी थी धूल कई वर्षों की देती थी आभास उन मधुर क्षणों में पुष्प शैया सा वो बन्द कमरा जो खुलते […]

मोटी मोटी फीस मोटे मोटे बस्ते गले में है टाई कमर में बेल्ट हाथ में बोतल पीठ पर बस्ता ले टिपिन चलें आओ स्कूल चलें बस में भीड़ भाड़ धक्का मुक्की होती बार बार हर जगह कतार पहले आओ पहले पाओ फीस लेकर चलें चलो स्कूल चलें गुरुजी की डांट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।