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इश्क ने चेहरा है बदला,,
बदले रांझे हीर है,,,
वो पहले वाले प्यार कंहा,,
बदली लैला मजनू की तस्वीर है,,,
रूह से प्रैम नही अब होते,,
सब जिस्म के चाहगीर है,,
सच्चा प्यार अब छलावा लगता है,,
सब होने पर पछतावे की पीर है,,
खुद को सच साबित करने की खातिर,,
बिस्तर पर बदन बिछाने की रीत है,,
जिस्म की चाहत नही है झूठी,
मगर मौहब्बत सच्ची धीर है,,,
इश्क ने चेहरा है बदला,,
बदले रांझे हीर है,,,
#सचिन राणा “हीरो”
हरिद्वार, उत्तराखंड
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