आँगन-आँगन उग रहे,भौतिकता के झाड़। संस्कारों की तुलसियाँ,फेंकी गई उख़ाड़॥ मन में जब पलने लगें,ईर्ष्या द्वेष विकार। तब निश्चित ही जानिए,नैतिकता की हार॥ जिनका जीवन मंत्र है,कर्म और पुरुषार्थ। वे जन ही समझे सदा,धर्मों का भावार्थ॥ जिनके मन पैदा हुआ,वैचारिक भटकाव। डूबी है उनकी सदा,भवसागर में नाव॥ कर्म भूल जब-जब […]

हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुण गान करुं। भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं॥ निर्दोषों की बलि चढ़ाकर अत्याचारी मुस्काते हैं। तेरे मंदिर के रस्ते में मासूम गोली से भूने जाते हैं। हे शिव शंकर आतंकी मंसूबों को कैसे नाकाम करुं। भक्तों की लाशों […]

डगमग-डगमग करती चली, बरसात में  कागज की नाव। बचपन की याद दिलाती ये, बहती हुई  कागज की नाव॥ कौन जीतेगा , कौन हारेगा, लगाते नावों पर  ऐसे  दांव। बहती  रहती बिना पतवार, खेल-खेल में दूर करते तनाव॥ मुश्किलों में  भी डटे  रहना, सिखाती है हमें बहती नाव। जिंदगी का यही […]

जुल्म न करो तुम बेटी पर,प्यार करो सम्मान दो.. प्यार करो गले लगा लो, इस नन्हीं-सी जान को। बेटी घर की मुस्कान है, बेटी घर की शान है.. जीने दो आजादी से, क्या इसने किया गुनाह है.. दुनिया के संग चलने दो, पाएगी अपनी पहचान को नाम करेगी रोशन, छुएगी आसमान […]

3

हे रामेश्वर  हे नागेश्वर, हे कामेश्वर जय जय जय। हे अखिलेश्वर हे विश्वेश्वर, हे श्रवेश्वर जय शिव जय॥ हे त्रिपुरारि हे कामारि, विश्वपति करुणाकर जय। नीलकन्ठ हे अम्लेश्वर, पाशुपतेश्वर जय शिव जय॥ जय शिव शंकर जय प्रलयंकर, जय गिरीश  गिरिजापति जय। जय पशुपति महादेव उग्र भव, जय भीम ईशान शर्व […]

2

फ़ूट डालकर,बाँटा हमको, भारत-पाकिस्तान में। अंग्रेजों ने,टुकड़े कर दिए प्यारे हिन्दुस्तान में॥ मैं हिन्दू,तू मुसलमां, वह सिख,वे ईसाई। जन्म लिया,भारत भूमि में जैसे हो भाई-भाई॥ स्वर्ग-सा सुन्दर,अपना भारत, क्यों बदला श्मशान में? अंग्रेजों ने,टुकड़े कर दिए प्यारे हिन्दुस्तान में॥ समाजसेवा के रूप में, फिर,राजनीति थी आई। क्षुद्र स्वार्थवश,धीरे से फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।