शिव स्तुति

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vijaykant
हे रामेश्वर  हे नागेश्वर,
हे कामेश्वर जय जय जय।
हे अखिलेश्वर हे विश्वेश्वर,
हे श्रवेश्वर जय शिव जय॥
हे त्रिपुरारि हे कामारि,
विश्वपति करुणाकर जय।
नीलकन्ठ हे अम्लेश्वर,
पाशुपतेश्वर जय शिव जय॥
जय शिव शंकर जय प्रलयंकर,
जय गिरीश  गिरिजापति जय।
जय पशुपति महादेव उग्र भव,
जय भीम ईशान शर्व शिव जय॥
हे त्रिलोचन हे दुखमोचन,
हे चन्द्रमौली  गंगाधर जय।
हे त्रिशूलधर  हे डमरूधर,
जय बृषकेतु जय शिव जय॥
केदारनाथ कैलाशनाथ जय,
अमरनाथ शिव जय जय जय।
हे त्रयम्बकेश्वर हे विश्वेश्वर,
भीमाशंकर हर बम बम जय॥
रामचन्द्र जी के प्रिय शम्भू,
कृष्णचंद्र के प्रिय शिव जय।
हे बाघम्बरधारी कर्दप कराली
भोले शंकर जय जय जय॥
हे राघवप्रिय हे माधवप्रिय,
नारायण के प्रिय शिव जय।
देव दनुज रिषि मुनि पूजित,
जय शिव शंकर जय जय जय॥
जय आशुतोष हर औढरदानी,
जय शिव जय शिव जय जय जय।
सकल पापहर्ता संहर्ता,
नकुल नयनत्रय जय जय जय॥
पार्वतीपति  भोले शंकर,
जय शिव जय शिव जय जय।
महाकाल देवाधिदेव जय,
जगदीश्वर हर हर बम जय॥
चिता-भस्म भासित हे भोले,
व्याल माल शशि सिर जय।
भगतो के अह्वलादक शंभु,
जय शिव जय शिव जय शिव जय॥
क्षमा करो अपराध  नाथ,
राम-कृष्ण-हरि के प्रिय जय॥
                                                                                             #विजयकान्त द्विवेदी 
परिचय : विजयकान्त द्विवेदी की जन्मतिथि ३१ मई १९५५ और जन्मस्थली बापू की कर्मभूमि चम्पारण (बिहार) है। मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार के विजयकान्त जी की प्रारंभिक शिक्षा रामनगर(पश्चिम चम्पारण) में हुई है। तत्पश्चात स्नातक (बीए)बिहार विश्वविद्यालय से और हिन्दी साहित्य में एमए राजस्थान विवि से सेवा के दौरान ही किया। भारतीय वायुसेना से (एसएनसीओ) सेवानिवृत्ति के बाद नई  मुम्बई में आपका स्थाई निवास है। किशोरावस्था से ही कविता रचना में अभिरुचि रही है। चम्पारण में तथा महाविद्यालयीन पत्रिका सहित अन्य पत्रिका में तब से ही रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। काव्य संग्रह  ‘नए-पुराने राग’ दिल्ली से १९८४ में प्रकाशित हुआ है। राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति के प्रति विशेष लगाव और संप्रति से स्वतंत्र लेखन है।

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3 thoughts on “शिव स्तुति

  1. आदरणीय कार्तिकेय त्रिपाठी जी नमन !
    यह आपकी भक्ति भावना और भगवान
    भोलेनाथ जी का सहज लुभावन चरित्र है
    जो भगत को ..स्मरणकर्ता को आकृष्ट
    करता है…….प्रभु की कृपा…भगवान भोलेनाथ जी की कृपा……आपको नमन करता हँू!
    ……विजयकान्त द्विवेदी
    7977801626

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।