उनको पता नहीं *

0 0
Read Time1 Minute, 45 Second
paras nath
क्या है पर्यावरण?
उनको पता नहीं।
करते  अपना रोज काम ,
दिनचर्या है  वही उनकी,
पशु ,पक्षी ,वन-वृक्ष का देखभाल,
अनजाने में करते परोपकार,
पर्यावरण के सच्चे संरक्षक वो,
पर उनको पता नहीं।

जरूरतें है कम उनकी,
गाड़ी बंगले की भूख नहीं,
दिखावा नहीं तनिक उनमें,
भौतिक सुविधाओं से दूर कहीं,
प्रकृति प्रेम उर में भरा हुआ,
फोटो खिंचवाने की चाह नहीं,
धरा की हरियाली संजोए है,
पर उनको पता नहीं।

कहने को हम जागरूक बहुत,
जरूरतें हमारी बढ़ी हुई,
सुख-सुविधा के आदी हैं,
करते प्रकृति का दोहन खूब,
वृक्षारोपण का ढोंग रचाते ,
सुर्ख़ियों में छाये रहते,
करते क्षय पर्यावरण का ,
पर हमको पता नहीं।

नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
 ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी  ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
 
अन्य उपलब्धियां –  समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘  में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मूंछ

Mon Jun 11 , 2018
देख ले मूंछ मेरी कडी। पूँछ मेरी है इतनी बड़ी।00 काम तेरा कभी जो पड़े। कर दूं  हल मैं खड़े ही खड़े। याद करना मुझे उस घड़ी। पूँछ मेरी है इतनी बड़ी।। 01। कोई दादा हो कितना बड़ा। सामने  यार के कब  खड़ा। मार दूँ उसको भारी तड़ी। मूंछ मेरी […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।