
क्या है पर्यावरण?
उनको पता नहीं।
करते अपना रोज काम ,
दिनचर्या है वही उनकी,
पशु ,पक्षी ,वन-वृक्ष का देखभाल,
अनजाने में करते परोपकार,
पर्यावरण के सच्चे संरक्षक वो,
पर उनको पता नहीं।
जरूरतें है कम उनकी,
गाड़ी बंगले की भूख नहीं,
दिखावा नहीं तनिक उनमें,
भौतिक सुविधाओं से दूर कहीं,
प्रकृति प्रेम उर में भरा हुआ,
फोटो खिंचवाने की चाह नहीं,
धरा की हरियाली संजोए है,
पर उनको पता नहीं।
कहने को हम जागरूक बहुत,
जरूरतें हमारी बढ़ी हुई,
सुख-सुविधा के आदी हैं,
करते प्रकृति का दोहन खूब,
वृक्षारोपण का ढोंग रचाते ,
सुर्ख़ियों में छाये रहते,
करते क्षय पर्यावरण का ,
पर हमको पता नहीं।
नाम-पारस नाथ जायसवालसाहित्यिक उपनाम – सरलपिता-स्व0 श्री चंदेलेमाता -स्व0 श्रीमती सरस्वतीवर्तमान व स्थाई पता-ग्राम – सोहाँसराज्य – उत्तर प्रदेशशिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।