तुम बिखरें घरों को जोड़ने वाले,
दो टूटे हदयों को जोड़ने वाले,
मैं
बने बनाये घरो को तोड़ने वाला,
दो
की छोड़ो ,तीन की छोड़ो न जानें कितनो के ह्दय को तोड़ने वाला?
इसे क्या नाम दूँ?
भूल कहूँ?
नही-नही,
यह तो एक और भूल है।
इसे कहूँ प्रवंचना,
जो आपके साथ हुई।
प्रवंचना का कँहा मिला
दण्ड?
जो औरो को मिला करता है।
पर क्या?
बिखरे ह्दय भी माफ़ किया करते है?
मैनें देखा एक विशाल खंडित ह्दय को,
जो धीरता से धरती को भी
लज्जित करता हैं।
वह अपनों के आगे सब कुछ न्यौछावर किया करता है।
ह्दय की अग्नि में ज्वलित
चिंगारी के भाग लिये,
वे शबनम के भाव लिए फिरता है।
खुद खंडहरौ के अवशेष लिए बैठा है,
पर मानवता के महलो की आश लिए फिरता है।
वह मर चुका है,
लेकिन ह्दय में,अब भी
शेष स्वांस लिए जिता है।
#सतवीर गोस्वामी
पल्लू