राष्ट्रभाषा हिन्दी ही हो सकती है 1) सरकारी कर्मचारियों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए। 2) उस भाषा के द्वारा भारत वर्ष का आपसी धार्मिक,आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हो सकना चाहिए। 3) यह जरूरी है कि भारत वर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हो। 4) राष्ट्र […]

यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हिन्दी को तोड़ने वालों में हिन्दी के अपने ही लोग हैं। भोजपुरी के कुछ समर्थकों का यह विचार है कि हिन्दी भाषा से अलग होने पर ही भोजपुरी भाषा और संस्कृति का विकास हो पाए गा। वास्तव में यह उनका भ्रम है। भाषाविज्ञान की […]

मै हूँ दिसम्बर तुम हो जनवरी याद तुम्हारी आते ही दौड़ जाती है बदन में सरसरी बिछा ली तेरी यादें जैसे हो तेरा इश्क़ एक गरम दरी मै हूँ दिसम्बर तुम हो जनवरी भूलूँ तो भला कैसे तुमको तुम ही तुम हो मुझमें हर पल हर घड़ी मै हूँ दिसम्बर […]

तुम बिखरें घरों को जोड़ने वाले, दो टूटे  हदयों को जोड़ने वाले, मैं बने बनाये घरो को तोड़ने वाला, दो की छोड़ो ,तीन की छोड़ो न जानें कितनो के ह्दय को तोड़ने वाला? इसे क्या नाम दूँ? भूल कहूँ? नही-नही, यह तो एक और भूल है। इसे कहूँ प्रवंचना, जो […]

डर नहीं है मुझे मौत का, न ख़ौफ़ है किसी बात का साफ़-साफ बोलने पर क्या होगा मेरा। पता है मुझे पहले से सामने वाली की औकात काll पर क्या करुँ, भर रहा है जो मेरे अंदर बारूद उसको कैसे मैं झुठलाऊंl आँखों के सामने के हर किस्से को कैसे […]

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तुम्हें अच्छी नहीं लगती, पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान क्योंकि-तुम, उड़ ही नहीं सकते। तुम्हें भाता नहीं है, पक्षियों का निडर होकर चहकना, क्योंकि-तुम जहाँ गंभीर हो, वहाँ महज़ दिखावा है। तुम्हें पसंद नहीं आता, पक्षियों का कतारवद्ध अनुशासन, क्योंकि-तुम जहाँ पर सख्त़ हो,वहाँ साम्राज्य है तुम्हारे ही अड़ियल स्वभाव का। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।