दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन
चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है
गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को
दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन
ऊँचे ऊँचे पर्वत, पर तेरा बसेरा है
चढ़ न पाऊं में, जब तक तेरा सहारा न हो
कैसे करूँ, तेरा दर्शन
मार्ग दिखाओ मुझे , मेरे चंद्रा प्रभु
दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन
चंद्रा प्रभु भगवन की महिमा ऐसी जो है
पाप किये है ज्यादा, पुण्य का करता रहा दिखावा
अंतर मन में जहर है , फिर कैसे करूँ तेरा दर्शन
सत्संग सुना, जीवन को समझा
अब में पास्ता रहूं, ये सब कुछ करके
दर्शन से तेरे मिलता है चैन, बिन दर्शन के राहु बेचैन
चंद्रा प्रभु भगवन की, महिमा ऐसी जो है
गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।