कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में सेठ गोविन्ददास को याद किया

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अपनी भाषा हिन्दी के लिए अपनी ही पार्टी का विरोध करने वाले सेठ गोविन्द दास हिन्दी सेवी के रूप में सदैव प्रेरणा स्वरूप रहेंगे

इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा कालजयी साहित्यकार स्मरण शृंखला में आज सेठ गोविन्द दास, जिनका जन्म 16 अक्टूबर 1896 में जबलपुर के एक राजघराने में हुआ, को आदर के साथ याद किया। उनके जीवन चरित्र और कृतित्व पर साहित्यमंत्री डाॅ. पद्मा सिंह ने विस्तार से बताया।
इस अवसर पर डाॅ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने उनके हिन्दी प्रेम तथा स्वतंत्रता के लिए जेल में रहकर साहित्य सृजन करने के संदर्भ बताये। डाॅ. अखिलेश राव ने स्मरण दिलाया कि 1961 में सेठ गोविन्द दास पहले व्यक्तित्व थे, जिन्होंने सांसद होकर भी अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ और हिन्दी के पक्ष में अपना मतदान किया था। डाॅ. आरती दुबे ने सत्ता में रहकर अपनी हिन्दी भाषा के लिए संघर्ष करने वाला योद्धा बताया। हरेराम वाजपेयी ने कहा कि उन्हें जबलपुर में उनके उस पावन आवास को देखने का अवसर मिला, जिस व्यक्ति ने हिन्दी प्रेम के लिए सत्ता की परवाह नहीं की। के.पी. चैहान, कविता चैहान ने भी उनके संदर्भ में विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कार्यक्रम में विशेष रूप से डाॅ. (प्रो.) विनोद आसुदानी (दृष्टि बाधित) ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में भाषा, संस्कृति और संस्कारों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के समय देश का विभाजन ही नहीं हुआ बल्कि हमारी संस्कृति की माटी सिंध और भाषा सिंधी को भी विभाजन की त्रासदी भुगतना पड़ी। उन्होंने समिति के साहित्यिक कार्यक्रमों की प्रशंसा की और कहा कि साहित्यकार ही एक ऐसा होता है जो अपनी लेखनी से भौतिकता से दूर रहकर समाज को आनंद प्रदान करता है फिर उसमें संवेदना, दोस्ती, प्रकाश और दर्द को रेखांकित करने की अदृश्य ताकत होती है। इस अवसर पर उन्होंने पंत, निराला, टैगोर, शेक्सपियर, महादेवी वर्मा, बशीर भद्र आदि को प्रसंगवश याद किया। समिति की ओर से साहित्यकार विनोद आसुदानी का शाॅल-श्रीफल से स्वागत, प्रधानमंत्री, साहित्यमंत्री, प्रबंधमंत्री, अर्थमंत्री आदि ने किया।
इस अवसर पर सिंधी शायर श्री एच.पी. चिन्दानी, संजय वर्मा, मणिमाला शर्मा, डाॅ. श्रीमती संध्या राय चौधरी, संतोष त्रिपाठी, सुनीता फड़नीस, नयन राठी, किशोर यादव आदि काफी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे। आभार प्रधानमंत्री अरविन्द जवलेकर ने व्यक्त किया।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।