माँ बच्चों की आवाज

0 0
Read Time2 Minute, 23 Second
keshav
माँ!माँ शब्द नहीं,भंडार है,
बच्चों की सम्पूर्ण संसार है।
माँ भावना और अहसास है,
एक संवेदना और विश्वास है।
माँ हम बच्चों की आवाज है,
हमारे जीवन की आगाज है।
माँ में भगवान जी का वास है,
वो हमारी हरपल की सांस है।
माँ मजधार की किनारा है,
हमारे जीवन की सहारा है।
माँ मेरे आंखों की रोशनी है,
मेरे जिंदगी की हर खुशी है।
मेरी माँ त्याग की प्रतिमूर्ति है,
मेरी माँ ममता की एक मूर्ति है।
माँ हमारे जीवन की तपस्या है,
करती दूर हमारी हर समस्या है।
माँ शरीर के आत्मा की भवन है,
माँ की छाया भी सबसे पावन है।
माँ ही राधेकृष्ण और सीताराम हैं,
माँ के चरणों में ही तो चारो धाम हैं।
माँ बच्चों के कष्टों की सिसकी है,
माँ ही हमारे यादों की हिचकी है।
माँ हमारे जीवन की सम्पूर्ण सृष्टि है,
माँ ही धूप-छाँव और बादल-वृष्टि है।
माँ एक अध्याय नही पूर्ण ग्रन्थ है,
माँ जीवन की सबसे बड़ी सन्त है।
माँ तो धूप में हमारे लिए छाया है,
माँ प्यास में हमारे लिए दरिया है।
माँ कभी भी जीवन में थकती नहीं,
माँ अपने कर्मों से कभी बचती नहीं।
माँ मेरे लिए मन की एक दर्पण है,
माँ हमारे लिए प्राणवायु जीवन है।
माँ ही हमारे जीवन की आधार है,
माँ ही हमारे जीवन की श्रृंगार है।
माँ के बिना यह जीवन अधूरा है,
उनकी खुशी में ही सबकुछ मेरा है।
हम सभी माँ के आँखों के तारे हैं,
हमसभी तो जीते उनके सहारे हैं।
हे माँ!जग में तुमसे ही है मेरा नाम,
हे माँ!तेरे चरणों में शत शत प्रणाम।
हे माँ!तेरे चरणों में शत शत प्रणाम।।

          #केशव कुमार मिश्रा

 परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

   कर्म फल 

Mon May 14 , 2018
बचपन से सुनते आ रही थी राधा – भोगना ही पड़ता है सबको अपना कर्मफल। माँ से सुना , दादी से सुना , नानी से सुना और तो और पिता से भी अक्सर यही सुनती पर समझ कुछ न पाती। अभावों में गुजर – बसर करते हुए खेलने कूदने की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।