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किसी काम के
नहीं पिता अब
पड़े हुये हैं कोने में
बड़ी नखरची
मिली बहुरिया
रोज बदलती भाषा
नहीं समय पर
रोटी-पानी
बढ़ती रोज निराशा
लगे है ऐसे
गयी रोशनी
आँसू आँख भिगोने में
परछाई भी
आती-जाती
घर के अंदर-बाहर
घुड़क रही है
ऐसे देखो
जैसे गरजे नाहर
पिचकी आँते
अंधी आंखें
दाने ढूढें दोने में
हिम्मत हारे
बैठ गयी है
काँपा करती काया
आँख मूँद
आहत मन सोचे
कैसी प्रभु की माया
साँस-साँस
मजबूर हुई हैं
इन रिश्तों को ढोने में
#योगेन्द्र प्रताप मौर्य
नाम-योगेन्द्र प्रताप मौर्य
साहित्यिक उपनाम-••••••
वर्तमान पता-ग्राम-बरसठी,पोस्ट-बरसठी,जिला-जौनपुर
राज्य-उत्तर प्रदेश
शहर-जौनपुर
शिक्षा-स्नातक(विज्ञान)
कार्यक्षेत्र-अध्यापन
विधा -गीत/नवगीत
प्रकाशन-साझा संग्रह प्रकाशित,सूरज चाचा हाय हाय(इक्यावन बाल कविताएँ)
सम्मान-प. प्रताप नारायण मिश्र युवा साहित्यकार सम्मान,
अन्य उपलब्धियाँ-सर्वश्रेष्ठ रचना प्रमाण पत्र
लेखन का उद्देश्य- साहित्य सेवा
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Mon May 14 , 2018
करो तुम और कुछ बातें ठहर जाओ अभी दो पल नही दिल है भरा तुमसे छोड़ आयेंगे तुम को घर। करो तुम और कुछ बातें ठहर जाओ अभी दो पल। कोई कर देना बहाना पूछे जब देर आने के तोड़ते हम रहे थे फूल मन्दिर में चढ़ाने के नही दिल […]