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माँ कहकर जब हम रोते थे
लगते थे गले चुप होते थे
सुनते थे कहानी परियों की
तब आँख बन्द कर सोते थे।
मां कहकर जब हम रोते थे
लगते थे गले चुप होते थे।
चलते थे पकड़कर हम उँगली
घर-आँगन में जब गिरते थे
खेलते थे मिट्टी के खिलौने
मिट्टी के घर होते थे।
मां कहकर जब हम रोते थे
लगते थे गले चुप होते थे।
जब करूँ शरारत कान पकड़कर
खड़े बापू के होते थे
गुस्से में जब होते थे तब
छपरी तान के सोते थे।
माँ कहकर जब हम रोते थे
लगते थे गले चुप होते थे।
#श्रवण राज ‘लयरिसिस्ट राज’
परिचय :
नाम-श्रवण राज
उपनाम-लयरिसिस्ट राज
वर्तमान-शाहजहांपुर
राज्य-उत्तर-प्रदेश
शहर-शाहजहांपुर
शिक्षा-ग्रेजुएशन
कार्यक्षेत्र-गीतकार
विधा- कम्पोजिंग
प्रकाशन-कुछ प्रिंट मीडिया (2010-2011)
सम्मान- कोई नही।
ब्लॉग-कोई नही।
अन्य उपलब्धियां-फ़िल्म प्रोडक्शन वर्किंग मुंबई और निरंतर अपडेट सांग फेसबुक सोशल नेटवर्क।
लेखन का उद्देश्य- स्वतंत्र रहना।
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Thu May 3 , 2018
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