जश्ने_आजादी

0 0
Read Time3 Minute, 5 Second
garima sinh
जब लाल किले की चोटी पर तिरंगा लहराता है
हर एक भारतवासी का सीना छप्पन इंची हो जाता है!!
जल, थल और नभ के सैनिक जब करतब नए दिखाते हैं
       दुनियां भर के देशों को अपना सामर्थ्य बताते  हैं
  तब पर्वतराज हिमालय भी महिमामण्डित हो जाता है!!
एक दिन एक समय तिथि एक सब मिलकर
” जन गण मन “गाते हैं
जब लाल किले में मिलकर हम सब आजादी का जश्न मनाते हैं
वन्देमातरम की गुजों से मन विभोर हो जाता है!!
जब लाल किले की चोटी पर तिरंगा लहराता है…………
ये अपनी आजादी बस वीरों की थाती है
लाखों वीरों ने जन्म लिया ये ऐसी पावन माटी है
जो मरके भी अमर रहे, ये उनकी अमिट निशानी है
भगतसिंह,अशफाक, आजाद के बलिदानों की कहानी है
ये स्वतन्त्रता दिवस सदा ही नवयुगों की  गाथा गाता है
बलिदानों का मंजर तब आँखों में उतर के आता है
लाल किले की चोटी पर जब तिरंगा लहराता है………….
लाल किले को जब इस दिन दुल्हन सा सजाया जाता है
सच्ची आजादी का मतलब दुनियां बताया जाता है
हमको अपने आजादी पर गर्व सदा ही होता है
भारत माँ की चरणों को जब ये निर्मल सागर धोता है
अमर शहीदों की टोली तब स्वर्ग में भी हर्षाती है
जब वीरों की गाथा बागी कलम कोई लिख जाती है
तब सन सैतालिस वाला मंजर याद आ जाता है
लाल किले की चोटी पर जब तिरंगा लहराता है………….
ये विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का जो अद्भुत नारा है
हम सब भारत के वासियों को अपनी जान से प्यार है
जब तक साँस रहेगी तन में मन ये गीत दुहरायेगा
इस झंडे की शान के आगे सारा भूमण्डल थर्राएगा
मैं भारत की बेटी हूँ मुझे गर्व सदा ये रहता है
      ऐसे ही कोई विश्वगुरु थोड़ी भारत को कहता है
    भारत माता की गाथाओं का मैं प्रतिपल गुणगान लिखूं
जब,जब अपनी कलम उठाऊँ
 तब,तब मैं हिंदुस्तान लिखूं!!
जब जब अपनी कलम उठाऊँ
 तब तब मैं हिंदुस्तान लिखूं!!
जब लाल किले की चोटी पर तिरंगा लहराता है
हर एक भारतवासी का सीना छप्पन इंची हो जाता है!!
#गरिमा सिंह
परिचय- 
नाम-  गरिमा अनिरुद्ध सिंह
साहित्यिक उपनाम-मधुरिमा
राज्य-गुजरात
शहर-सूरत
शिक्षा- एम ए प्राचीन इतिहास
कार्यक्षेत्र-शिक्षण
विधा – हास्य ,वीर रस ,शृंगार

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तेरे प्रेम की

Sat Aug 18 , 2018
तेरे प्रेम की गर गली जो न होती दिले चोट हम कैसे खाकर के जीते — न होता तेरा गर ये इश्के समन्दर तो प्यासों को कैसे बुझाकर के जीते — न होता तेरे प्रेम का ये तराना तरन्नुम को हम कैसे गाकर के जीते– अफ़साना होता जो गर उल्फतों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।