धरती के दोहे

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naveen kumar bhatt

पावन धरती मात को,है वंदन बारंबार।
गौरव की गाथा लिखी,गूँजे जय जयकार।।१

धरती माँ के गोद से,निकली सीता मात।
तेरी कथा अटूट  है,दिन चाहे हो रात।।२

हरियाली साड़ी पहन,धरती गाती गीत।
नदियाँ झरनें कूप को,यही दिलाती जीत।।३

ममता का सागर भरा,कभी न करती क्रोध।
गलती जो इसका करे,लेती नहीं विरोध।।४

भू भवसागर तारणी,तू है कृपा निधान।
अमिट रूप रचना रची,यैसा कहे विधान।।५

तेरे आँचल में पले,लोग करें जयगान।
हाथ जोड़ वंदन किये,साक्षात भगवान।।६

हे धरती तेरी कृपा,आज यहां खुशहाल।
बेंच बेंच के कोक को,कितनें मालामाल।।७

तेरे आँगन में पले,सारा आज जहान।
हम सब तेरे पूत है,भू तू बड़ी महान।।८

नमन करूँ हे धारणी,तू ही मात सहाय।
अगर गई तू रूठ तो,लेगा कौन बचाय।।९

पेड़ लगाकर साथियो,मुझको दो उपहार।
भू माता सबसे कहे,यही मेरा त्योहार।।१०

#नवीन कुमार भट्ट

परिचय :

पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट
उपनाम- “नीर”
वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही
जिला-उमरिया
राज्य- मध्यप्रदेश 
विधा-हिंदी

Arpan Jain

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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