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उत्सुक हूँ
उत्तर को देने के लिये
प्रश्न तेरे
उत्तर मेरे
या मैं भी कुछ करूँ प्रश्न
बस बने सन्तुष्टि
तेरे मन पर
मेरे उत्तर से ।
बनी रहे मेरे भी मन में
एक जिज्ञासा जानने की
मैं भी करूँ प्रश्न
तू भी दे उत्तर ईमानदारी से ।
प्रेम में बना रहे विस्वास
न हो धोखे का लेस मात्र ।
भले ही चलता रहे क्रम
प्रश्न और
उत्तर का
तेरे हो
या हो मेरे ।
तुझे भी इसमें हर्ज
तो क्या होगा ।
मन में बैचेनी
तेरी भी शांत होगी
मन मेरा भी न फिर
तड़पेगा ।
फिर क्यूँ रोकूँ
तुझको करने से
प्रश्न ?
प्रेम है मेरे मन में
तो उत्तर भी होगा न ।
झूठ के बहानो से प्रेम
का क्या सरोकार ।
फिर क्यूँ रुके सिलसिला
तेरे प्रश्न और
मेरे उत्तर का या
मेरे प्रश्न और
तेरे उत्तर का ।
समस्याएँ हल ही होगी ।
शिकवे दिल से मिटेंगे ।
मन के प्रश्न
और सीधे मन के ही उत्तर
बस मन से मन तक
बना रहे आवागमन
विचारो का ।
तेरे मन को भी न हो तकलीफ ।
न हो मेरा भी मन उदास।
तो चलाये रखे सिलसिले
विचारों के ।
प्रश्न और शंकाओ के
समाधान के ।
और होता रहे प्रेम प्रगाढ़ ।
और मिटती रहे दूरियां
शंकाओ की ।
#दुर्गेश कुमार
परिचय: दुर्गेश कुमार मेघवाल का निवास राजस्थान के बूंदी शहर में है।आपकी जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी है। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ली है और कार्यक्षेत्र भी शिक्षा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। विधा-काव्य है और इसके ज़रिए सोशल मीडिया पर बने हुए हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी की सेवा ,मन की सन्तुष्टि ,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है।
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Fri Mar 16 , 2018
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