माँ की स्तुति

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anita tiwari
जय अंबे, जय जगदम्बे   ,माता शेरों वाली।
रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे,
जहाँ रहती ज्योतावाली।।
है वो ही सुख दायिनी मैया, दुविधा हरने वाली।
नेत्रहीन की आंखों में भी, नवज्योति भरने वाली।।
रे मन! ले जा उन गलियों में…..
जय अंबे, जय जगदंबे, माता शेरों वाली।
रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे,
जहाँ रहती पहाड़ावाली।
दीन दुखी जब तुम्हें पुकारे, झोली भरने वाली।
पाप मोह को दुर भगाए, मन पावन करने वाली।।
रे मन! ले जा उन…..
जय माँ अंबे, जय जगदंबे, माता शेरों वाली।
रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे,
जहाँ रहती माँ महाकाली।।
जब भी मन पथ से भटके , वो रक्षा करने वाली।
अज्ञान तिमिर में जब गुम हों हम,
ज्ञानज्योति भरने वाली।।
रे मन!  ले जा उन गलियों…..
जय माँ अंबे, जय जगदंबे, माता शेरोवाली।
रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे,
जहाँ रहती ज्योतावाली,
जहाँ रहती पहाडा़वाली, ज
हाँ रहती शेरों वाली,
जहाँ रहती माँ महाकाली
#अनिता तिवारी
परिचय-
अनिता तिवारी
शिक्षिका 
अंबिकापुर, ( सीतापुर) 
सरगुजा

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