ज्यामितीय आकृति

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gopal
बच्चों मानव अंगों में छिपे हैं,
ज्यामितीय आकृति के राज।
कान लगे जैसै  हो अर्धवृत्त,
बिंदु जैसी बनी प्यारी आंख॥
त्रिभुज  जैसी  बनी है  नाक,
वक्र  रेखा-सी  लगे पलक।
वृत्त जैसा लगे हमारा चेहरा,
शंकु जैसे लगे सिर के बाल॥
रेखाखंड  जैसे  लगे  पैर,
समानांतर चतुर्भुज हाथ।
आयत-सी  बनी काया,
बंद होंठ  लगे-घनाभ॥
बेलनाकार जैसी  है गर्दन,
चाहें जैसा करवा लो नर्तन।
ज्यामितिय आकृतियों का,
मानव अंगों में कराए दर्शन॥
हाथ  को   देखो  गौर से,
मोड़ो  इसे  सब  ओर से।
बन  जाएंगे   सब  कोण,
ताली  बजाओ  जोर  से॥

            #गोपाल कौशल

परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।

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