Read Time1 Minute, 40 Second
गलत ढंग से गर भंसाली,
रानी का इतिहास गढ़े।
रानी ने आह्वान किया है,
हो जाओ रजपूत खड़े।
रानी ने आह्वान…॥
पैसे वाला खेल है खेला,
पद्मावती को बना के लैला।
आग द्वेष की भड़काकर के,
सबके सिर पर मूंग दले।
रानी ने आह्वान…॥
मानसिंह का यह कपूत है,
लगता हमको पूरा भूत है।
गंदी नाली का है कीड़ा,
जिसमें दीमक रोज लगे।
रानी ने आह्वान…॥
इतिहासों को रखा ताक पर,
खाक किया उन्हें जलाकर।
भंसाली से डरकर देखो,
न्यायालय भी बेहोश पड़े।
रानी ने आह्वान…॥
कितनी बार इसे समझाया,
फिर भी इसके समझ न आया।
आओ लोगों चलें साथ सब,
इसका काम तमाम करें।
रानी ने आह्वान…॥
हम हैं प्रताप हम राजपूत हैं,
भारत माँ के हम सपूत है।
न समझो कमजोर हमें तुम,
बडे़-बड़े हैं युद्ध लड़े।
रानी ने आह्वान…॥
#अजय जयहरि
परिचय : अजय जयहरि का निवास कोटा स्थित रामगंज मंडी में है। पेशे से शिक्षक श्री जयहरि की जन्मतिथि १८ अगस्त १९८५ है। स्नात्कोत्तर तक शिक्षा हासिल की है। विधा-कविता,नाटक है,साथ ही मंच पर काव्य पाठ भी करते हैं। आपकी रचनाओं में ओज,हास्य रस और शैली छायावादी की झलक है। कई पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन होता रहता है।
Post Views:
543
Sat Jan 27 , 2018
षोडस कला से युक्त षोडसी माँ शारदे तू, मुझे ज्ञान बल बुद्धि देशहित भर दे। गाऊं मैं सदा ही मात भारती का गान यहाँ, ऐसे मेरी वाणी में तू स्वर दे प्रखर दे। तिरंगे की आन-बान मान-शान रखूं सदा, ऐसी देश भक्ति का भी माते मुझे वर दे। गा रहा […]