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जिसने गर्भस्थ होते ही
अपार सहन की थी
वेदनाएं-
निशि-दिन-उबकियां,अपच
कभी चक्कर तो कभी
और कुछ।
खाना-पीना दुश्कर रहा,
कई मास तक
तब जाकर असीमित
प्रसव-वेदना को सहन कर
मुंह देखा था-
स्नेह के उपहार का,
लालन-पालन के दिवस
बीते,फूल की सुगंध देने के समय
मिला-किनारा वात्सल्य नद से,
माता से विमाता कर दिया उसने
बुढ़ापे में दिखा-दिखा
अनाथालय का रास्ता,
दुर्बल हाथ-झुर्रियों से
घिरा मुख,
मांग रहा था उसके लिए ही-दुआएं
खैरियत की-
खुदा से,ईसा से,ईश्वर से
और वाहे गुरू से।
यही परम्परा रही है-
मां की शुरू सेll
#मनमोहन गुप्ता
परिचय : मनमोहन गुप्ता की शैक्षिक योग्यता एम.ए (हिन्दी,इतिहास, पत्रकारिता)और एम.एड. हैl आप शिक्षा विभाग से २०१३ में स्वैच्छिक सेवानिवृत हुए हैंl वर्तमान में बतौर सम्प्रति स्वतंत्र साहित्य लेखन जारी हैl प्रकाशन एवं प्रसारण देखें तो १९६९ में दैनिक अखबार में प्रथम प्रकाशन हुआ थाl तत्पश्चात आकाशवाणी जयपुर,मथुरा और आगरा से अनवरत प्रसारण होता रहा है,जिसमें राज्य स्तरीय रूपक `परिवर्तन` आकाशवाणी मथुरा के माध्यम से लखनऊ केन्द्र से प्रमुख रूप से प्रसारित होना हैl आपको भरतपुर में ‘लोहागढ़ कौ झरोखा’ के संस्थापक स्तम्भ लेखन का कार्यानुभव हैl ऐसे ही कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं और साक्षात्कार प्रकाशित हुए हैं।मनमोहन गुप्ता का निवास राजस्थान के मण्डी अटलबंद(भरतपुर) में हैl
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Thu Jan 25 , 2018
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