प्यारा बसंत

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गीतों का मल्हार लिए,
फूलों का श्रंगार लिए।
खिल गए फूल अनन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥
फूलों से खेत हो रहे हरे-भरे,
पक्षी गीत गा रहे भावना भरे।
नर-नारी और झूमे साधू सन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥
नदियाँ फूलों से श्रृंगार करे,
धरा भी किरणों से मांग भरे।
गज भी मांजे अपने दन्त,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥
जीवन का हर पल नया होगा,
उत्साह और उमंग भरा होगा।
रंगों की बहार है चली अनन्त,
आ गया देखो प्यारा बसन्त॥
रातें भी अब सिकुड़ जाएगी,
नभ में नई ज्योति छा जाएगी।
तभी हो जाएगा सर्दी का अंत,
आ गया देखो प्यारा बसन्त॥
गा रही कोयल मीठे गान,
भँवरे भी भर रहे हैं तान।
प्रजापति सूंघ रहा है सुगन्ध,
आ गया देखो प्यारा बसंत॥
                                #दिनेश तूफानी

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