Read Time1 Minute, 27 Second
नन्हीं-सी बया आज
तनिक-सी उदास है,
तीव्र पवन के झोंके ने
उसके रेन-बसेरे को,
आज जरा झकझोरा है
भय की सिहरन ने,
उसको विकल किया
फिर भी उसने,
धैर्य नहीं खोया
ज्यों ही मंद हुई,
थोड़ी-सी बयार
उसने फिर अपना,
साहस संजोया
मन की उमंगों को,
पसीने से भिगोया
चुन-चुन तिनकों से,
घोंसला सुदृढ़ किया
अपने सपनों का घर,
फिर साकार किया
खुशी से सराबोर,
अंदर जा बैठी वह
थोडी़ देर बाद,
हवा फिर बहकी
लेकिन अब छुटकी,
चुलबुली बया ने
मादक अंगडा़ई ली,
और चहचहाकर
हौले से बाहर झांका,
और वह मुस्कुरा दी।
…और वह मुस्कुरा दी॥
#कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
परिचय : कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) में गांधीनगर में बसे हुए हैं।१९६५ में जन्मे कार्तिकेय जी कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। रचनाओं के प्रकाशन सहित कविताओं का आकाशवाणी पर प्रसारण भी हुआ है। आपकी संप्रति शास.विद्यालय में शिक्षक पद पर है।
Post Views:
663
Tue Jan 16 , 2018
मैं औरत हूँ, एक नहीं,दो घर बनाती हूँ। एक घर में बेटी बनकर, मान बढ़ाती हूँ। दूसरे घर में बहू बनकर, कुलदीपक जलाती हूँ। मैं औरत हूँ… एक बार नहीं, दो बार जन्म लेती हूँ। एक अपने माँ-बाबुल के दामन, दूसरा सास-ससुर के आंचल। एक रिश्ते निभाने हमें नही आते […]