कविता

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कुछ गाओ दर्द उन्हीं का,जो घर होकर बेघर रहते हैं,
हालात के हाथों हो मजबूर,जो घर होकर बेघर रहते हैंl
कुछ होते दूर माँ से अपनी मर्जी से,
कुछ को भूख दूर लेकर जाती है
कुछ होते हैं दूर पैसों की खनक से,
तो कुछ को मजबूरी भी दूर करती है
पर उनकी क्या हालत होगी,जो शरणार्थी बन के रहते हैं,
हालात के हाथों हो मजबूर,वो घर होकर बेघर रहते हैंl
कुछ गाओ दर्द उन्हीं का जो…ll

गूंजते थे मंत्र जिनके कभी उन वादियों में,
महकते थे फूलों के उपवन हर घर-हर एक आंगन मेंl
हाथ थामते थे वो एक-दूजे का गमों और खुशियों में,
पर मजहबी आग ने दफनाए वो रिश्ते गहरी खाईयों में
थी किताबें जिन हाथों में तब,उनमें अब हथियार रहते हैं,
केशर की क्यारी में वो अब बारूद को बोते रहते हैं
हालात के हाथों हो मजबूर,वो घर होकर बेघर रहते हैंl
कुछ गाओ दर्द उन्हीं का जो…ll

रात के अंधेरे में वो कुछ सपने बुना करते हैं,
कश्मीर के परिंदे अब दिल्ली में तपकर मरते हैंl
जाने कब होगा वो सवेरा,जब लौटेंगे वो घर को अपने,
हर घड़ी-हर पल बस वो इंतजार इसी का करते हैं
पहचान अपनी सबको बस इतनी ही बताते रहते हैं,
हम `कश्मीरी पंडित` हैं,जो शरणार्थी बनकर रहते हैं
हालात के हाथों हो मजबूर,हम घर होकर बेघर रहते हैंl
कुछ गाओ दर्द उन्हीं का,जो घर होकर बेघर रहते हैंll

 #आकाश चारण ‘अर्श’

परिचय : आकाश चारण का साहित्यिक उपनाम-अर्श हैl जन्मतिथि-९ अप्रैल १९९७ तथा जन्म स्थान-गाँव झणकली(जिला बाड़मेर,राजस्थान) हैl वर्तमान में भी यहीं पर निवासरत हैl राजस्थान के बाड़मेर निवासी अर्श की शिक्षा-कक्षा १२ वीं हैl लेखन में आपकी विधा-कविता, ग़जल और गीत हैl अन्य उपलब्धियों में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त हैl आपके लेखन का उद्देश्य-अपने भावों को अभिव्यक्त करते हुए समाज में परिवर्तन लाना और सच का आईना दिखाना हैl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।