मन के मारे 

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अपने अच्छा होने से दुनिया अच्छी नहीं हो जाती,
खुद के सच्चा होने से दुनिया सच्ची नहीं हो जाती।
अच्छों के बीच अच्छा होने में क्या बड़ी बात है,
सच्चों के बीच सच्चा होने में क्या खास बात है।
बड़ी बात है बुरों के बीच अच्छा होना,
खास है झूठों की भीड़ में सच्चा होना।
जब चारों तरफ हो फरेब ही फरेब,
तब भी तुम्हें दिखाई दे खुद में एब।
लोग गलतियों पे गलतियाँ करते जाएं,
और हर बार इल्जाम तुम्हारे सिर आए।
चोरी और मक्कारी वे करें जिम्मेदार तुम्हें ठहराएं,
पाप से सने हाथ उनके हों,जुबां तुम्हारी  श्लोक गाए।
अनाचार में आकंठ डूबे वे रहें,फूल तुम्हारे हाथ बरसाए,
बुराई में मदहोश वे हों,नशेमन तुम कहलाओ।
गुनाहगार सारे एकजुट हो जाएं,और तुम निपट अकेले रह जाओ,
तुम मदद की गुहार लगाते रहो,और कोई मदद को न आए।
तो समझ लेना कि तुम मंजिल के करीब हो,
क्या फर्क पड़ता है-सामने मुक्ति या सलीब हो।
ये जिन्दगी खुदा की इनायत है इसे सम्भाल कर रखना,
मुश्किलों से मिली इस पहचान को सम्हाल कर रखना।
तूफां का काम है तबाही,
आंधियों ने कब रहम खाया ?
जो मुश्किल न हो वो हालात ही क्या,
जिसमें जिज्ञासा न हो वो सवालात ही क्या।
वो भी क्या मंजिल जो आसानी से मिल जाए,
वो भी क्या गुलाब जो बिन कांटे ही खिल जाए।
हजार जुल्म सहकर भी मुस्कुराने का नाम जिंदगी है,
गमों के बीच खुशियों को गुनगुनाने का नाम जिंदगी है।
अनुकूलता में तो हर कोई कर लेता संकल्प की रक्षा,
सफल  वो है जो उत्तीर्ण करे प्रतिकूलता में ये परीक्षा।
चाहे कुछ हो जाए अपने किरदार को कभी गिरने मत देना,
दीपक हो तो अपने बुझने से पहले अंधेरा घिरने मत देना।
                #डॉ. देवेन्द्र  जोशी

परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।