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नई उम्मीदें लेकर फिर,
नया साल आया है।
घृणा-द्वेष मिटाने ये,
प्यार साथ में लाया है॥
नए सुहाने ख़्वाब देखता,
अजीब अल्हड़ बचपन है।
कश्मकश के भंवर में उलझा,
कैसा मानव जीवन है॥
सपने नए सजाने फिर,
नया साल आया है।
प्यार का पैग़ाम लेकर,
नया साल आया है॥
#वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।
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Tue Jan 2 , 2018
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