दिन वही,रात वही,
वही है प्रकृति भी
पर जरूरी होती है गणना…
इसीलिए मान लेते हैं हम सब,
बदल गया दिन,माह या साल
जबकि बदलता नहीं कुछ भी।
यह मान लेना ही भर देता है,
अंतस और जीवन में हमारे खुशियां।
गणित का सिद्धांत भी कहता है यही-
चलें मानकर,
निकलता है इससे ही
कठिन से कठिन सवाल का भी हल।
समझना होगा इसे-
बनाना है खुशहाल जीवन
यदि सबका तो,
होती है भलाई सिर्फ मान लेने
और मान देने से ही।
नववर्ष से दें सबको,यही सौगात,
होगा जब भी जरूरी
मान लेंगे भी और मान देंगे भी,
बस इतने से ही हो जाएगा-
शुभ वर्ष भी और शुभ जीवन भीll
#देवेन्द्र सोनी