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सतरहवें साल की रजनी
इक उम्र के पड़ाव पर,
रातभर ठिठकी खड़ी रही
जवानी और बचपन की,
दहलीज पर अड़ी रही।
सोचकर बस इक दिवस शेष
शर्म से जड़ी रही,
सिहरती लरजती अपने ही स्वेद में (ओस)जकड़ी रही।
भोर की गतिविधियों से
बेखबर निरंतर पिघलती रही,
दिवस का स्वागत भी
शीतल कोहरे-सा,
चेहरे पर
स्वेत दुपट्टा ओढ़ किया॥
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Mon Jan 1 , 2018
नए साल की गर्माहट में, पुरानी सर्द यादों को न भूल पाएंगे हम। नए वसंत की खुशबू में, पुराने मसले फूलों को न भूल पाएंगे हम। नई बहार के राग में, पुरानी सिसकती आहों को न भूल पाएंगे हम। नई घटा की बारिश में, बेबस बरसते आंसू को न भूल […]