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भाव रूठे,गीत फिर कैसे सुनाऊँ,
तार बिखरे वीणा के कैसे बजाऊँ।
बाँध पाया कौन मन को,
थाह पाया कौन मन को
आह में डूबी व्यथा को,
कैसे बताऊँ।
भाव रुठे गीत…॥
नयन गीले प्राण रीते,
विवशता में अधर सीते
और कब तक हृदय को,
धीरज बंधाऊँ।
भाव रुठे गीत…॥
शून्यता बढ़ती रही,
निकटता घटती रही है
दीप झंझावात के कैसे सुनाऊँ।
तार टूटे वीणा के…॥
रात रोती है व्यथा में,
बात घटती है कया में
स्वप्न जागे नयन में,
कैसे सजाऊँ।
भाव रूठे,गीत फिर कैसे सुनाऊँ।
#मनु जोशी
परिचय:मनोरमा जोशी की जन्मतिथि-१९दिसम्बर १९५३ और
जन्म स्थान-नरसिंहगढ़ है। वर्तमान में आप इन्दौर के विजय नगर में रहती हैं। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। विधा-कविता,आलेख लिखती हैं।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहा है। सम्मान में राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।
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Wed Dec 27 , 2017
कलम कनक की भले नहीं है, अक्षर असर तो फिर भी करेंगे। कागज करार भले ही करे न, मसि कसी तो सब सार सरेंगे। पटल रजत जो कभी मिला तो, पीड़ा तृण कण्टकों की हरेंगें। उम्मीदों के पंख भले कोमल हो , लेखन से नभ परवाज उड़ेंगे। एक से मिल […]