कलम ! तेरी सदा जय हो

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ranjana
कलम मेरी चली तो शत्रु के 
दिल काँप जाएंगे,
छुपी मन की सभी बातें 
सभी जन भाँप जाएंगे।
हमारा  दर्द  है  ऐसा  
सुनाना भी जिसे मुश्किल,
छुपाना भी बहुत मुश्किल 
बताना भी बहुत मुश्किलl  
कभी  कोई  समझ पाए  
हमारा दर्द औ पीड़ा,
कभी मत खेल ये समझो 
नहीं ही ये कोई क्रीड़ाl 
कलम कब आग उगलेगी 
कलम कब प्यार बरसाए,
यही वो भेद है जिसको  
समझ कोई नहीं पाए।
 
इसी से कह रही दिल से 
कलम तेरी सदा जय हो, 
रहे यशगान दुनिया में 
सदा सम्मान अक्षय हो।
सदा सम्मान अक्षय हो, 
सदा  सम्मान अक्षय होll 

                                                     #डॉ. रंजना वर्मा

परिचय : डॉ. रंजना वर्मा का जन्म १५  जनवरी १९५२ का है और आप फैज़ाबाद(उ.प्र.) के मुगलपुरा(हैदरगंज वार्ड) की मूल निवासी हैंl आप वर्तमान में  पूना के हिन्जेवाड़ी स्थित मरुंजी विलेज( महाराष्ट्र)में आसीन हैंl आप लेखन में नवगीत अधिक रचती हैंl 

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