भिजवा देना डाक से राखी

0 0
Read Time1 Minute, 21 Second

kuldeep khadana

मुमकिन है मैं न आ पाऊं, पहनी है जो वर्दी खाकी।
उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥
तेरा गुस्सा जायज है पर, मैं भी तो मजबूर हूँ बहना।                                            छोड़ के सरहद कैसे आऊँ, यहाँ जरूरी मेरा रहना॥

जल्दी ही घर आऊंगा मैं, बस थोड़े से दिन हैं बाकी।                                                  उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥

कुछ बहनों के भाई गए हैं, राखी बँधवाने को घर पर।
जिस तरह मैं पहले बहना, आता था घर छुट्टी लेकर॥

खुदगर्ज नहीं है भाई तुम्हारा, मुझको भी तू याद है आती।
उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥

                               #कुलदीप खदाना

परिचय : कुलदीप खदाना पेशे से फौजी हैं। इनके पिता-बांके सिंह भी फौजी(अब स्व.)रहे हैं। इनकी जन्म तारीख-२-फरवरी-१९८७ और जन्म स्थान-बुलन्दशहर है। वर्तमान पता-पोस्ट-खदाना,जिला-बुलन्दशहर(उत्तर प्रदेश) है।बी.ए. तक शिक्षित श्री खदाना का कार्यक्षेत्र-पैरा मिलिट्री (एसएसबी)है। आपके लेखन का उद्देश्य-शौक ही है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कलम सियासत नहीं लिखेगी

Fri Dec 22 , 2017
  क्यों  कलम चलाऊँ अपनी मैं इन राजनीति दरबारों पर, क्यों विवश करुं लेखनी अपनी लिखने को गद्दारों पर। इन्हीं सियासत की गलियों में रोज तमाशा होता है, बुझ जाता है दीपक वो जो बस आशा का होता है॥ चंद सियासी कुनबे मेरा देश लूटकर बैठे हैं, माथे पर इक […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।