मुमकिन है मैं न आ पाऊं, पहनी है जो वर्दी खाकी।
उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥
तेरा गुस्सा जायज है पर, मैं भी तो मजबूर हूँ बहना। छोड़ के सरहद कैसे आऊँ, यहाँ जरूरी मेरा रहना॥
जल्दी ही घर आऊंगा मैं, बस थोड़े से दिन हैं बाकी। उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥
कुछ बहनों के भाई गए हैं, राखी बँधवाने को घर पर।
जिस तरह मैं पहले बहना, आता था घर छुट्टी लेकर॥
खुदगर्ज नहीं है भाई तुम्हारा, मुझको भी तू याद है आती।
उदास न होना मेरी बहना, भिजवा देना डाक से राखी॥
#कुलदीप खदाना
परिचय : कुलदीप खदाना पेशे से फौजी हैं। इनके पिता-बांके सिंह भी फौजी(अब स्व.)रहे हैं। इनकी जन्म तारीख-२-फरवरी-१९८७ और जन्म स्थान-बुलन्दशहर है। वर्तमान पता-पोस्ट-खदाना,जिला-बुलन्दशहर(उत्तर प्रदेश) है।बी.ए. तक शिक्षित श्री खदाना का कार्यक्षेत्र-पैरा मिलिट्री (एसएसबी)है। आपके लेखन का उद्देश्य-शौक ही है।